खरीफ की बुआई में दम, धान रोपाई कम | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली July 16, 2022 | | | | |
दक्षिण पश्चिमी मॉनसून डेढ़ महीने बीतने के बाद खरीफ की फसलों की बुआई का कुल रकबा पिछले साल के स्तर से ऊपर पहुंच गया है। इस सीजन में 15 जुलाई के आंकड़ों में पहली बार ऐसा हुआ है। वहीं प्रमुख फसलों में धान और दलहन में अरहर का रकबा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अभी कम है।
आंकड़ों से पता चलता है कि इस सीजन में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल धान का रकबा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 17 प्रतिशत कम है। वहीं खरीफ की सबसे प्रमुख दलहन फसल अरहर का रकबा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 18 प्रतिशत कम है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वी भारत के प्रमुख धान उत्पादक इलाकों ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की बारिश कम होने के कारण धान का रकबा पिछले साल की तुलना में कम है।
धान का उत्पादन कम होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में मोटे अनाज के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक पर्याप्त नहीं है, जिससे कि हस्तक्षेप कर कीमतों में बढ़ोतरी पर काबू पाया जा सके।
साथ ही अगर धान की बुआई में उल्लेखनीय गिरावट आती है तो सरकार को मौजूदा खुली निर्यात नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। आंकड़ों से पता चलता है कि धान की बुआई 128.5 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो खरीफ सीजन में धान की औसत रोपाई के रकबे 397.0 लाख हेक्टेयर का करीब 32 प्रतिशत है।
अरहर की बुआई करीब 25.8 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो इस मौसम की कुल सामान्य बुआई का 55 प्रतिशत है।
बाजार के सूत्रों ने कहा कि बुआई वाले प्रमुख इलाकों में जून महीने में मॉनसून की करीब अनुपस्थिति की वजह से अरहर की बुआई कम हुई है, क्योंकि अरहर की सबसे ज्यादा बुआई जून में होती है।
अन्य प्रमुख फसलों में कपास, सोयाबीन, मूंगफली और मूंग का रकबा पिछले साल की तुलना में ज्यादा है, क्योंकि प्रमुख उत्पादक इलाकों मध्य, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में पिछले कुछ दिनों में जोरदार बारिश हुई है।
इंदौर की सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) ने एक बयान में कहा, ‘ज्यादातर इलाकों में सोयाबीन की बुआई पूरी हो चुकी है, कुछ इलाकों में भारी बारिश के कारण इसमें देरी हो रही है। कम अंकुरण की कोई शिकायत नहीं आई है। बहरहाल मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ जिलों में जलजमाव होने की वजह से समस्या है और अगर बारिश जारी रहती है तो फसलों को नुकसान हो सकता है।’
धान की स्थिति देखें तो आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जून से 15 जुलाई के बीच बारिश पश्चिम बंगाल में सामान्य से 24 प्रतिशत कम, बिहार में 42 प्रतिशत कम, झारखंड में सामान्य से 49 प्रतिशत कम औऱ उत्तर प्रदेश में सामान्य से 65 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
ओडिशा में कुल बारिश सामान्य से 1 प्रतिशत ज्यादा हो गई है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में तटीय इलाकों में जोरदार बारिश हुई है। हालांकि पूर्वी भारत के चावल उगाने वाले क्षेत्रों और उत्तर-पश्चिम भारत की शुष्क भूमि के लिए अभी आशा की किरण है। मौसम विभाग ने अपने हाल के अनुमान में कहा है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के हिमालयी क्षेत्र और पूर्वोत्तर भारत में 18 जुलाई से 5 दिनों तक तेज बारिश की संभावना है।
यूपी में कम बारिश से उपज पर असर!
उत्तर प्रदेश में मॉनसून आने के लगभग तीन सप्ताह बाद भी राज्य के 75 में से 71 जिलों में कम बारिश होने से खरीफ फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की जानकारी के अनुसार इस साल कुल 75 में से 71 जिलों में एक जून से 15 जुलाई के बीच कम बारिश हुई है। कौशांबी इस साल 98 फीसदी कम बारिश वाला सबसे शुष्क जिला है। कौशांबी और 55 अन्य जिलों को कम बारिश वाले जिलों में चिह्नित किया गया है।
इस मॉनसून में अब तक उत्तर प्रदेश में सिर्फ औसतन 77.3 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य से 65 फीसदी कम है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में केवल औसतन 77.2 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य 243.5 मिमी बारिश से 68 प्रतिशत कम है। इसी तरह, पश्चिम उप्र के जिलों में औसतन 77.5 मिमी बारिश हुई है जो सामान्य 187.1 मिमी . से 59 प्रतिशत कम है। कम वर्षा के कारण राज्य के गन्ना और धान उत्पादक क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हो सकता है। इसका असर खरीफ फसलों के उत्पादन पर पड़ने की संभावना है।
13 जुलाई की अद्यतन स्थिति के अनुसार खरीफ अभियान 2022-23 के तहत 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले 42.41 लाख हेक्टेयर भूमि की बुवाई की गई है, जो लक्ष्य का केवल 44.16 प्रतिशत है। इसमें से 45 फीसदी अकेले धान की खेती के कारण होता है। पिछले साल 13 जुलाई तक 53.46 लाख हेक्टेयर जमीन की बुवाई हो चुकी थी। इस सीजन में कम बारिश के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित विभागों को सतर्क किया है। भाषा
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