वैल्यू निर्माण में स्टार्टअप कंपनियों के योगदान में खासी बढ़ोतरी | समी मोडक / July 14, 2022 | | | | |
नए जमाने की घरेलू कंपनियां भारतीय उद्योग जगत में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही हैं। क्रेडिट सुइस द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, बीसई-500 सूचकांक की सिर्फ 15 प्रतिशत कंपनियां वर्ष 2000 के बाद बनी थीं। तुलनात्मक तौर पर, करीब 90 प्रतिशत यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से ज्यादा की वैल्यू वाले स्टार्टअप) वर्ष 2000 के बाद बने थे। इससे पता चलता है कि स्टार्टअप से पिछले दो दशकों के दौरान पारंपरिक कंपनियों के मुकाबले वैल्यू निर्माण में ज्यादा मदद मिली है।
क्रेडिट सुइस ने एक रिपोर्ट में कहा, 'बीएसई-500 के लिए अनुपात 13 प्रतिशत से थोड़ा सुधरा है और इसे पिछले साल बने यूनिकॉर्न की सूचीबद्धता से मदद मिली।' स्टार्टअप सूचीबद्धता भारतीय बाजारों के लिए नया बदलाव है और जोमैटो, पेटीएम तथा नायिका पिछले 12 महीने में सूचीबद्ध हुई हैं। भारतीय स्टार्टअप का वैश्विक संदर्भ के मुकाबले भारत में ज्यादा असर दिखा है। घरेलू यूनिकॉर्न की वैल्यू की भागीदारी सूचीबद्ध बाजार पूंजीकरण के प्रतिशत के तौर पर भारत में 10 प्रतिशत से ज्यादा है तो अमेरिका (4 प्रतिशत) और चीन (5 प्रतिशत) के मुकाबले अधिक है।
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