थोक महंगाई दर 15.18 प्रतिशत | अरूप रॉयचौधरी / नई दिल्ली July 14, 2022 | | | | |
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर मई के चार दशक के उच्च स्तर की तुलना में जून में थोड़ी कम हुई है। लेकिन अभी भी यह 15.18 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई है। थोक महंगाई में तेजी मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत, खाद्य वस्तुओं, खनिज तेल और अन्य की वजह से बनी हुई है। यह लगातार तीसरा महीना है जब थोक महंगाई दर 15 प्रतिशत से ऊपर है।
मई महीने में डब्ल्यूपीआई महंगाई 15.88 प्रतिशत पर थी,जो सितंबर 1991 से अब तक का सर्वाधिक स्तर था।
जून की थोक महंगाई दर 3 महीने के निम्न स्तर पर आ गई है। थोक महंगाई दर अप्रैल 2021 से लगातार 15वें माह 10 प्रतिशत से ऊंची बनी हुई है।
आंकड़ों के अनुसार जून 2022 में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 14.39 प्रतिशत रही। मई में यह 12.34 प्रतिशत थी। डब्ल्यूपीआई बढ़ने की वजह फल, सब्जियों और आलू के दाम में तेजी से हुई बढ़ोतरी है। इसी तरह समीक्षाधीन महीने में सब्जियों की मूल्यवृद्धि 56.75 प्रतिशत पर पहुंच गई। आलू के दाम माह के दौरान 39.38 प्रतिशत और फलों के 20.33 प्रतिशत बढ़े। ईंधन और ऊर्जा खंड में महंगाई दर 40.38 प्रतिशत, विनिर्मित वस्तुओं और तिलहन की महंगाई दर 9.19 फीसदी और कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की महंगाई 77.29 फीसदी रही।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून में खनिज और मूल धातु के दाम में मासिक आधार पर तीव्र सुधार हुआ है। इसका कारण वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका बढ़ना और जिंसों के दाम में नरमी है। उन्होंने कहा,‘हमें उम्मीद है कि जुलाई 2022 में थोक महंगाई दर कम होकर 13 फीसदी तक आ जाएगी। यह वैश्विक स्तर पर जिंसों और ईंधन की कीमतों तथा घरेलू स्तर पर खाद्य वस्तुओं के दामों में कमी से प्रतिबिंबित होता है।’
बार्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘जून में थोक महंगाई दर थोड़ी कम हुई है। लेकिन यह बढ़े स्तर पर बनी हुई है। जिंसों के वैश्विक दाम कम होने और आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से कीमतों का दबाव आने वाले महीनों में कम हो सकता है।’
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