बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने से बैंकों को अप्रैल-जून तिमाही में अपने निवेश पर मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान (मार्क टू मार्केट) होने की आशंका है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि 30 जून, 2022 को समाप्त तिमाही में लाभ कुछ नरम होगा, लेकिन कर्ज में अच्छी वृद्धि और परिचालन लाभ से बैंकों का मुनाफा 2022-23 में लगातार बने रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों के कर्ज में 2022-23 में 10.1 से 11 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो में सरकारी प्रतिभूतियां अधिक हैं। खासकर वे प्रतिभूतियां ज्यादा हैं जो लंबी अवधि की हैं। इससे बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने से लाभ के नजरिये से चुनौतियां खड़ी हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये बॉन्ड पोर्टफोलियो पर नुकसान 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र के बैंकों के लिये 2,400 से 3,000 करोड़ रुपये तक रहने की आशंका है। इक्रा के उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा, ‘मार्क टू मार्केट नुकसान के बावजूद 2022-23 में परिचालन लाभ 11-12 प्रतिशत बढ़ने की संभावना को देखते हुए हमारा अनुमान है कि बैंकों का मुनाफा बना रहेगा। मुख्य परिचालन लाभ बढ़ने से ‘मार्क टू मार्केट’ नुकसान का असर कम होगा।’ हालांकि अगर प्रतिफल आने वाले समय में और अधिक बढ़ता है, तो इस वित्त वर्ष में लाभ पर कुछ असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के लिए कर्ज वृद्धि 2022-23 की पहली तिमाही में सकारात्मक बनी हुई है। यह वृद्धि कर्ज के सभी मोर्चों पर है। इक्रा ने कहा कि ब्याज दर बढ़ने से आने वाले समय में कर्ज की मांग पर असर पड़ने की आशंका है। लेकिन चालू वित्त वर्ष में कर्ज वृद्धि 11 प्रतिशत तक रह सकती है जो 2021-22 में 9.7 प्रतिशत थी।
