इक्विटी फंडों में निवेश घटा | चिराग मडिया / मुंबई July 08, 2022 | | | | |
इक्विटी म्युचुअल फंडों में जून में निवेश की रफ्तार धीमी पड़ गई। वैश्विक स्तर पर मंदी की चिंता से हुई बिकवाली का असर शेयर की कीमत पर पड़ा। इस दौरान शुद्ध रूप से 15,498 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो साल 2022 के औसत 18,829 करोड़ रुपये से 18 फीसदी कम है और मई में हुए 18,529 करोड़ रुपये के निवेश के मुकाबले 16 फीसदी कम है। हालांकि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी में लगातार हो रहे निवेश से इक्विटी योजनाओं में लगातार 16वें महीने निवेश बना रहा।
17 जून को बाजार मई 2021 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गए थे और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भारी बिकवाली के बीच कई मिडकैप व स्मॉलकैप कंपनियों के शेयर मंदी के बाजार में चले गए। माह के दूसरे हिस्से में हुई रिकवरी से हालांकि एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स महीने में 4.6 फीसदी के नुकसान के साथ बंद हुआ जबकि एसऐंडपी बीएसई मिडकैप इंडेक्स और एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स क्रमश: 6.2 फीसदी व 6 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि बाजारों में गिरावट के बावजूद स्थिर निवेश का आना निवेशकों की परिपक्वता का संकेत देता है।
जून में इक्विटी फंडों की सभी उप-श्रेणियों में शुद्ध निवेश हासिल हुआ। फ्लेक्सीकैप व लार्जकैप श्रेणियों में 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का शुद्ध निवेश हासिल हुआ।
फंड्स इंडिया के शोध प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, पिछले कई महीनों से एफपीआई की तरफ से हो रही लगातार बिकवाली के बावजूद बाजार बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ, जिसका कारण देसी संस्थागत निवेशकों का मजबूत निवेश रहा। सामान्य तौर पर जब बाजारों में उतारचढ़ाव हो और एक साल का रिटर्न ढीला-ढाला हो (जैसा कि अभी हो रहा है) तो देसी संस्थागत निवेशकों का निवेश कमजोर हो जाता है। हमें आगामी महीनों में इक्विटी म्युचुअल फंडों में निवेश और एसआईपी के रुख पर नजर रखनी होगी क्योंकि एफपीआई की मजबूत निकासी को देखते हुए यह काफी अहम है।
जून में एसआईपी के जरिए 12,276 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो मई में हुए 12,286 करोड़ रुपये के निवेश के मुकाबले थोड़ा कम है।
एसआईपी खातों की संख्या 5.54 करोड़ के नए उच्चस्तर को छू गई। एसआईपी के तहत प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 5.51 लाख करोड़ रुपये रही।
पैसिव योजनाओं में भी 13,110 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ, वहीं हाइब्रि़ड फंडों में 2,279 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हासिल हुआ, जिसकी वजह आबिट्रेज फंडों से हुई उच्च निवेश निकासी रही।
डेट फंडों से 92,248 करोड़ रुपये की निकासी हुई। मोटे तौर पर हर तिमाही के आखिरी महीने में डेट फंडों से काफी ज्यादा निवेश निकासी होती है क्योंकि बैंक व कॉरपोरेट जैसे संस्थान अग्रिम कर चुकाने के लिए निवेश निकासी करते हैं।
सबसे ज्यादा 20,668 करोड़ रुपये की निवेश निकासी ओवरनाइट फंडों से हुई, जिसके बाद लिक्विड फंड व अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों का स्थान रहा। इसके अलावा लो ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड और शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों से भी खासी निवेश निकासी हुई।
मॉर्निंगस्टार इंडिया की वरिष्ठ विश्लेषक कविता कृष्णन ने कहा, ब्याज दरों के चक्र में इजाफे के अनुमान से अनिश्चित आर्थिक माहौल, जिंसों की उच्च कीमतें और बढ़त की रफ्तार में सुस्ती निवेशकों को डेट फंडों से दूर रख सकता है। इसके अलावा एक अंक में रिटर्न, बॉन्ड का बढ़ता प्रतिफल और बढ़ती महंगाई से भी निवेशकों ने डेट फंडों से निवेश निकासी की हो सकती है और इसे निवेश के दूसरे गंतव्य की ओर लगाया होगा। उद्योग की सभी श्रेणियों से शुद्ध रूप से निवेश निकासी 69,853 करोड़ रुपये रही और औसत एयूएम जून में 36.98 लाख करोड़ रुपये रहा।
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