जापान के प्रधानमंत्री के रूप में शिंजो आबे के कार्यकाल के दौरान एक से अधिक बार भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का 10 प्रतिशत से अधिक निवेश जापान की तरफ से किया गया। वर्ष 2013-14 में जापान के 1.8 अरब डॉलर के निवेश की हिस्सेदारी भारत के एफडीआई का 11.2 प्रतिशत थी। वर्ष 2016-17 में जब निवेश बढ़कर 4.2 अरब डॉलर हो गया तब इसकी हिस्सेदारी भी 11.7 प्रतिशत हो गई। शिंजो आबे वर्ष 2012 और 2020 के दौरान प्रधानमंत्री थे। महामारी के बाद वाली अवधि के दौरान निवेश बंद होने के कुछ संकेत मिले। भारतीय रिजर्व बैंक के 2021-22 के तात्कालिक आंकड़ों के अनुसार भारत में जापान की एफडीआई 1.5 अरब डॉलर थी जो कुल एफडीआई का 2.6 प्रतिशत है। जापान के नए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मार्च 2022 में अगले पांच वर्षों में भारत में 42 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी। जापान ने कई बड़ी परियोजनाओं के लिए समर्थन की घोषणा की थी। इसमें मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना शामिल थी जिसकी लागत 2017 में 17 अरब डॉलर आंकी गई थी। इसके अलावा मुंबई और नई दिल्ली के बीच एक फ्रेट कॉरिडोर के लिए भी आवंटन किया गया था। सरकार के समर्थन वाली सहायता इकाई, जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) ने पिछले कुछ वर्षों में कई निवेश किए हैं। जेआईसीए के डेटा का विश्लेषण करने पर अंदाजा मिलता है कि 2013-14 के बाद से एक वर्ष में 348 अरब से अधिक जापानी येन के औसत निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है जिसके वितरण का डेटा भी उपलब्ध है। यह औसतन एक वर्ष में लगभग 216 अरब जापानी येन है। एक अरब येन मौजूदा विनिमय दर के हिसाब से लगभग 70 लाख डॉलर के करीब है। इसने 2013-14 के बाद से औसतन एक वर्ष में लगभग 70 परियोजनाओं में निवेश किया है। दोनों देशों के बीच महामारी से पहले का व्यापार वर्ष 2018-19 में लगभग 17.63 अरब डॉलर था। इसमें भारत द्वारा 12.77 अरब डॉलर का आयात और 4.86 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है। भारत के प्राथमिक निर्यात में कपड़ों और एसेसरीज के अलावा पेट्रोलियम उत्पाद और रसायन शामिल थे। भारत ने लौह और इस्पात उत्पादों और मशीनरी सहित कई वस्तुओं का आयात किया। जून 2022 में कुल विदेशी पोर्टफोलियो परिसंपत्तियों में जापान की हिस्सेदारी लगभग 1 लाख करोड़ रुपये है। यह भारत का नौवां सबसे बड़ा निवेशक है। यह जनवरी 2012 में समान रैंक पर था। हालांकि उस वक्त कुल विदेशी पोर्टफोलियो में परिसंपत्ति 16,053 करोड़ रुपये थी।
