खाद्य तेल सस्ता होने के आसार | सुशील मिश्र और संजीव मुखर्जी / मुंबई/नई दिल्ली July 07, 2022 | | | | |
खाद्य तेल उद्योग ने सरकार को आश्वस्त किया है कि अगले कुछ सप्ताह में खुदरा कीमत में 10-15 रुपये लीटर की और कमी आएगी। व्यापार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उद्योग की हुई एक बैठक के दौरान यह आश्वासन दिया गया, जिसमें खाद्य तेल उद्योग से संबंधित तमाम मसलों पर चर्चा हुई, जिसमें खाद्य तेल की कीमतों में कमी का मसला भी शामिल था।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने खबर दी है कि खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने उद्योग को कीमतों में कम से कम 10 रुपये लीटर कमी करने और एक ही ब्रांड के खाद्य तेल की देश भर में एकसमान अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) रखने के निर्देश दिए हैं।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा, ‘हमे खुदरा कीमत में पहले ही 10 से 20 रुपये प्रति लीटर की कमी कर दी है, जो ब्रांड पर निर्भर है। साथ ही आगे 10 से 15 रुपये लीटर की और कमी आएगी, लेकिन यह रातोंरात नहीं हो सकता क्योंकि कार्गो अग्रिम में बुक किए गए हैं और कीमत स्थानांतरण में वक्त लगता है।’
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय भारत सरकार एवं खाद्य तेल कंपनियों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में सरकार ने खाने के तेल के दामों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आई भारी गिरावट को देखते हुए कंपनियों को कीमत में कटौती करने का निर्देश दिया। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महानगर मुंबई प्रांत के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया इसके बाद उम्मीद है कि दाम में 20 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ सकती है।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अनुसार आने वाले समय में अभी कीमत में और कटौती की जा सकती है । सरकार का अनुमान मौजूदा परिस्थितियों में 20 रुपये प्रति लीटर तक दाम घटाने का है। सरकार की तरफ से बुलाई गई बैठक में कुछ तेल कंपनियां कीमत में और कमी करने के लिए राजी हो गई हैं। हालांकि खुदरा बाजार में ऊंची कीमतों में खरीदे गए माल की बिक्री हो रही है इसके लिए आने वाले कुछ दिनों बाद इस कटौती का असर देखने मिलेगा और भारत के उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। मेहता के अनुसार पिछले एक महीने में खाने के तेलों के दाम 300-450 डॉलर प्रति टन तक घटे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है एक बार फिर से तमाम कंपनियों की तरफ से तेल की कीमतें घटाने की घोषणा हो सकती है। इस बार भी 10-15 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती संभव है।
हालांकि एसईए के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार चाहती है कि खाद्य तेल उद्योग खाद्य तेल के वैश्विक दाम में कमी के लाभ को जल्द से जल्द ग्राहकों को हस्तांतरित करे और हम भी ऐसा करना चाहते हैं, जैसे ही हमारी लागत घटेगी हम ऐसा करेंगे, लेकिन इसमें वक्त लगेगा।
गौरतलब है कि पिछले एक महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में 400 डॉलर प्रति टन तक की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन घरेलू खुदरा बाजार में इस गिरावट का कोई खास असर नहीं पड़ा। पिछले महीने घरेलू बाजार में खाद्य तेल कंपनियों ने कीमतों में 10-15 रुपये की कमी की थी। इसके बावजूद अभी भी देश में तेल के भाव ज्यादा है। भारत अपनी खाद्य तेल जरूरत का 60 फीसदी से ज्यादा सिर्फ आयात से ही पूरा करता है। साल 2020-21 में भातर का खाद्य तेल आयात 131.3 लाख टन रहा था। इसमें एक साल पहले के मुकाबले कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने 22 जून को भी कहा था कि खुदरा बाजार में खाद्य तेलों के दाम नीचे आने लगे हैं। उसी दौरान खाने के तेलों की कीमतें घटाने की घोषणा की गई थी।
अगर आगे की स्थिति देखें तो यह उम्मीद है कि खाद्य तेल में सुस्ती बनी रहेगी क्योंकि वैश्विक मांग घटी है। साथ ही घरेलू स्तर पर खरीफ सीजन में तिलहन खासकर सोयाबीन और मूंगफली की अच्छी बुआई हुई है। कुछ दिन पहले सोयाबीन की कीमत इंदौर में 4 माह के निचले स्तर से चढ़कर 6500 रुपये प्रति टन गया था। लेकिन व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यह राहत कम वक्त की हो सकती है।
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