क्रिसिल रेटिंग्स के मुताबिक इनपुट लागत में उतार चढ़ाव की वजह से लागत पर दबाव बन रहा है, साथ ही महामारी के वक्त उठाए गए राहत के कदम वापस लिए जा रहे हैं, जिसकी वजह से चूक की दर बढ़ सकती है। एजेंसी का कहना है कि सब-इन्वेस्टमेंट ग्रेड कैटेगरी की फर्मों यानी ऐसी इकाइयां, जिनकी रेटिंग बीबी और इससे नीचे है, उनकी चूक बढ़ने की संभावना अधिक है। इस श्रेणी में ज्यादातर एमएसएमई शामिल हैं, जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये या इससे कम है। सालाना चूक की दर वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 5.24 प्रतिशत हो गई है, जो वित्त वर्ष 2021 में 3.90 प्रतिशत और 2011-2020 वित्त वर्षों के बीच औसतन 6.1 प्रतिशत रही है। पिछले वित्त वर्ष में चूक करने वाली इकाइयों में 90 प्रतिशत एमएसएमई थीं। बीबीबी श्रेणी और उसके ऊपर के निवेश ग्रेड की इकाइयों में चूक की दर कम रही है और यह वित्त वर्ष 2011 और 2020 के बीच औसतन 0.5 प्रतिशत रही है। क्रिसिल ने कहा कि यह पिछले वित्त वर्ष 2022 में एक दशक के निचले स्तर 0.03 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2021 में पहले ही 0.17 प्रतिशत के निचले स्तर पर रही है। क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर सोमशेखर वेमुरी ने कहा कि हाल की चूक की दर के ट्रेंड से के आकार की रिकवरी का पता चलता है। बढ़े व मझोले आकार के कॉर्पोरेट्स में रिकवरी तेज रही है, जबकि एमएसएमई पर महामारी का असमान असर रहा है।
