भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन (एचडीएफसी) के एचडीएफसी बैंक में विलय को लेकर की गई राहत की मांग पर अभी अंतिम फैसला बाकी है, भले ही नियामक ने सोमवार को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। केंद्रीय बैंक के शीर्ष स्तर के सूत्रों ने कहा कि बैंकिंग नियामक राहत देने की अनुमति देने पर फैसले के पहले अभी और आंकड़ों का अध्ययन करेगा। सोमवार को निजी क्षेत्र के सबसे बड़े कर्जदाता ने एक्सचेंज को सूचित किया था कि उसे प्रस्तावित विलय के कंपोजिट स्कीम के लिए रिजर्व बैंक से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल गया है। एचडीएफसी इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड और एचडीएफसी होल्डिंग्स लिमिटेड (एचडीएफसी की पूर्ण मालिकाना वाली इकाई) का एचडीएफसी में और एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय प्रस्तावित है। केंद्रीय बैंक के एक शीर्ष सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘छूट आगे के ब्योरे पर आधारित होगी, जिसकी आगे जरूरत है। यह आंकड़े अभी एकत्र किए जाने हैं।’सूत्र ने कहा, ‘वह फैसला उचित वक्त पर लिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि इस विलय के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र बगैर किसी छूट व्यवस्था के लिए है। एचडीएफसी बैंक ने 4 अप्रैल को सबसे बड़े घरेलू ऋणदाता को अपने अधीन लेने को मंजूरी दी थी, जिसके सौदे का मूल्य करीब 40 अरब डॉलर है। प्रस्तावित इकाई का संयुक्त संपदा आधार करीब 18 लाख करोड़ रुपये होगा। विलय वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में होने की संभावना है, जो नियामकीय मंजूरियों पर निर्भर होगा। एचडीएफसी बैंक ने रिजर्व बैंक से एलएलआर/सीआरआर की शर्त पूरी करने के लिए चरणबद्ध तरीका अपनाने, प्राथमिकता के क्षेत्र की उधारी जरूरतों, कुछ संपत्तियों व देनदारियों को संरक्षण में लेने और कुछ सहायक इकाइयों को बनाए रखने की छूट मांगी थी। बैंक ने रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर सीआरआर, एसएलआर और पीएसएल जरूरतों का अनुपालन 2-3 साल में करने की छूट देने का अनुरोध किया था। विलय को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने पर प्रतिक्रिया देते हुए मैक्वैरी कैपिटल सिक्योरिटीज के एसोसिएट डायरेक्टर सुरेश गणपति ने कहा कि एक सकारात्मक बात यह है कि रिजर्व बैंक ने साधारण प्रारूप में इसकी अनुमति दे दी है और इसके लिए होल्डिंग कंपनी ढांचे या विलय या विलय न करने आदि की जरूरत नहीं है। एचडीएफसी बैंक ने एचडीएफसी लाइफ में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बरकरार रखने की भी रिजर्व बैंक से अनुमति मांगी है, जो विलय के बाद बैंक की सहायक इकाई बन जाएगी। मानकों के मुताबिक बैंक या तो 50 प्रतिशत से ऊपर या 30 प्रतिसत हिस्सेदारी जीवन बीमा उपक्रम में रख सकते हैं।
