नोमूरा के विश्लेषकों का कहना है कि मंदी के डर के बीच वैश्विक शेयर बाजारों में निचले स्तर से सुधार शायद ही होगा। इन विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था लगातार पांच तिमाही तक जीडीपी की रफ्तार में गिरावट का सामना करेगी। हालांकि अच्छी बात यह है कि मंदी बहुत गहरी नहीं होगी और अमेरिका में वास्तविक जीडीपी गिरावट इस चक्र में करीब 1.5 फीसदी होगी जबकि महामारी के दौरान इसमें करीब 10 फीसदी व वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान करीब 4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। ब्रोकरेज फर्म नोमूरा ने यह जानकारी दी। नोमूरा ने कहा, इतिहास बताता है कि मंदी के दौर में शेयरों में निचला स्तर छोड़ने की प्रवृत्ति होती है और अगर नोमूरा की राय बरकरार रहती है तो निवेशकों को वैश्विक शेयरों के निचले स्तर छोड़ने की खातिर शायद लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। एशियाई शेयर पूरी तरह से बचे नहीं रहेंगे, लेकिन हमें कुछ अंतर की उम्मीद है। पिछले कुछ महीनों में ज्यादातर वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने बढ़ती महंगाई को थामने के लिए अपनी-अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव किया है। उदाहरण के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मुख्य ब्याज दरों में हाल में 75 आधार अंकों का इजाफा किया है, जो साल 1994 के बाद की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। वहां खुदरा महंगाई मई में 8.6 फीसदी को छू गई, जो 40 साल का सर्वोच्च स्तर है। जेफरीज के वैश्विक प्रमुख (इक्विटी रणनीतिकार) ने हाल में अपने नोट में कहा है, बाजारों ने प्राथमिक तौर पर फेड की सख्ती और आने वाले आर्थिक परिणाम पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं यूक्रेन को कमोबेश भुला दिया गया या कम से कम मान लिया गया है कि वहां गतिरोध अभी और रहेगा। महंगाई की चिंता, भूराजनीतिक मसले और बढ़ती ब्याज दरों ने बाजार की अवधारणा पर नियंत्रण रखा है। उदाहरण के लिए एसऐंडपी 500 इस साल अब तक करीब 20 फीसदी टूट चुका है। उधर, एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 भी इस अवधि में करीब 10-10 फीसदी गंवा चुके हैं। जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषकों के मुताबिक, वैश्विक महंगाई अभी 7.8 फीसदी है और यह साल 2022 के मध्य में सर्वोच्च स्तर पर पहुंचेगी और साल 2022 के आखिर तक नरम होकर 6.6 फीसदी पर आएगी जबकि साल 2023 के आखिर में करीब 3.6 फीसदी पर रहेगी, जो फरवरी 2020 के 2.1 फीसदी के स्तर से ज्यादा है। मूल्यांकन को लेकर नोमूरा का मानना है कि शेयरों ने मोटे तौर पर उच्च नीतिगत/छूट वाली दर की संभावना को समाहित कर लिया है। हालांकि उनका अनुमान है कि अल्पावधि में बाजारों में उतारचढ़ाव बना रहेगा क्योंकि निवेशक सख्त उधारी बनाम नरम उधारी पर और अगली अमेरिकी मंदी के समय व अंतराल को लेकर बहस कर रहे हैं। नोमूरा ने कहा है, 2022 की तीसरी तिमाही में हम एशियाई शेयरों में कुछ स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं जब अमेरिकी महंर्गा के नरम होने या फेडरल रिजर्व के नए कदमों को लेकर स्पष्ट संकेत मिलेंगे। आय के डाउनग्रेड होने से एशियाई शेयर बाजारों का रिटर्न घटने का अनुमान है। आर्थिक नरमी जितनी गहरी होगी, आय के डाउनग्रेड का चक्र उतना ही मजबूत होगा। जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषकों के मुताबिक, भारतीय बाजारों ने मौजूदा सख्ती और संभावित नरमी या मंदी के पूरे असर को समाहित नहीं किया है। उनका मानना है कि स्ट्रक्चरल ग्रोथ में नरमी के बीच भारत की चुनौतियां वैश्विक सख्ती, उच्च देसी महंगाई और चालू खाते के घाटे से दोबारा उभरी है। जेएम फाइनैंशियल इंस्टिट्यूशनल सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक व मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने हितेश सुवर्णा के साथ लिखे नोट में कहा है, वित्त वर्ष 23 व वित्त वर्ष 24 के लिए आमसहमति वाली आय की रफ्तार अभी क्रमश: 16 फीसदी व 14 फीसदी है। हम संभावित आर्थिक नरमी और वित्त वर्ष 22 के उच्च आधार के कारण आय में 15-20 फीसदी डाउनग्रेड की उम्मीद कर रहे हैं।
