केंद्र सरकार को उम्मीद है कि पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन पर उपकर लगाए जाने से इसके वाणिज्यिक निर्यात पर असर नहीं पड़ेगा, जिसका निर्यात वित्त वर्ष 22 में बढ़कर 67 अरब डॉलर पहुंच गया है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘तेल निर्यात पर होने वाला पूरा मुनाफा हम नहीं ले रहे हैं, इसलिए हमें नहीं लगता कि इसका पेट्रोलियम निर्यात पर कोई नकारात्मक असर पड़ेगा। हम उम्मीद करते हैं कि हमारा पेट्रोलियम निर्यात अभी भी प्रतिस्पर्धी बना रहेगा। सोने पर शुल्क बढ़ोतरी का चालू खाते के घाटे (सीएडी) पर सकारात्मक असर पड़ेगा।’ वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन के निर्यात पर क्रमशः 6 रुपये, 13 रुपये और 6 रुपये उपकर लगा दिया था, जिससे कि ईंधन की घरेलू आपूर्ति दुरुस्त हो सके और अतिरिक्त राजस्व जुटाया जा सके। इसके साथ ही निर्यात नीति शर्तें भी विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने लागू कर दी थी, जिसके तहत निर्यातकों को निर्यात के समय यह घोषणा करनी होगी कि शिपिंग बिल में दिखाई गई मात्रा का 50 प्रतिशत वे चालू वित्त वर्ष के दौरान घरेलू बाजार में आपूर्ति करेंगे। बहरहाल यह शर्त 100 प्रतिशत ईओयू और एसईजेड की इकाइयों पर लागू नहीं है। वित्त मंत्रालय ने सोने पर भी आयात सुल्क बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 10.75 प्रतिशत था। सोने के बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। पूर्व उद्योग सचिव अजय दुआ ने कहा कि ईंधन उपकर लगाए जाने के बाद भी भारत का पेट्रोलियम निर्यात संभवतः प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि रिफाइनिंग लागत प्रतिस्पर्धी बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘साथ ही रूस से छूट पर ज्यादा आयात होने के कारण रिफाइंड पेट्रोल व अन्य उत्पादों पर ज्यादा शुल्क की गुंजाइश थी।’ बहरहाल दुआ ने कहा कि सोने पर आयात शुल्क लगाने से संभवतः भारत के आयात पर बहुत असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास घरेलू इस्तेमाल के साथ आभूषणों के निर्यात दोनों ही क्षेत्र में कारोबार की संभावना होती है।’ इक्रा लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सरकार की ओर से हाल में उठाए गए कदमों, खासकर सोने पर आयात शुल्क लगाने से चालू खाते का घाटा रोकने में मदद मिल सकती है, जो जीडीपी के 3 प्रतिशत के पार चला गया है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर पहली बार 79 के आंकड़े पर पहुंच गया। इसकी प्रमुख वजह विदेशी निवेश बड़ी मात्रा में बाहर जाना है। सीएडी की स्थिति खराब होने के कारण व्यापारी घरेलू मुद्रा के खिलाफ दांव लगा रहे हैं। वित्त वर्ष 22 में भारत ने 46 अरब डॉलर के सोने का आयात किया है। अप्रैल-मई के दौरान सोने का आयात 12 प्रतिशत बढ़कर 6.9 अरब रुपये हो गया है।‘अप्रत्याशित लाभ कर’ से उत्पाद शुल्क कटौती के नुकसान की भरपाई कर पाएगी सरकार भारत में उत्पादित तेल और विदेशों में निर्यात किए जाने वाले ईंधन पर ‘अप्रत्याशित लाभ कर’ से सरकार के उस तीन-चौथाई नुकसान की भरपाई हो जाएगी, जो उसे पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की वजह से उठाना पड़ रहा है। पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती से सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है। उद्योग सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। भारत 1 जुलाई से वैश्विक स्तर पर उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाया है। भाषा
