ई-चालान का बढ़ेगा दायरा | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली July 03, 2022 | | | | |
सरकार ई-चालान (इन्वॉयस) का दायरा बढ़ाने की योजना बना रही है। इसके लिए न्यूनतम सालाना कारोबार की सीमा इसी वित्त वर्ष के दौरान 5 करोड़ रुपये की जा सकती है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के तहत अभी 20 करोड़ रुपये या उससे अधिक सालाना कारोबार वालों के लिए ई-चालान अनिवार्य हैं।
योजना की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि राजस्व चोरी रोकने और अनुपालन को आसान बनाने के लिए अगले चरण में ऐसा किया जा सकता है। इस चरण में सरकार पहले 10 करोड़ रुपये सालाना या अधिक को कारोबार वाली इकाइयों के लिए ई-चालान अनिवार्य करेगी और बाद में इसे 5 करोड़ रुपये या अधिक सालाना कारोबार वाली इकाइयों के लिए लागू कर दिया जाएगा।
इस कदम का मकसद अधिक संख्या में सौदों का डिजिटल रिकॉर्ड रखना, बिक्री की जानकारी में पारदर्शिता बढ़ाना, विसंगति (मिसमैच) और त्रुटियां कम करना, डेटा इंट्री वर्क को स्वचालित बनाना तथा अनुपालन में सुधार लाना है। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम अधिक संख्या में सौदों के लिए ई-चालान ढांचा तैयार कर रहे हैं क्योंकि हम ई-चालान के लिए सालाना कारोबार की सीमा 20 करोड़ रुपये से घटाकर 10 करोड़ रुपये और फिर 5 करोड़ रुपये करना चाहते हैं।’ ई-चालान की सुविधा प्रदान करने वाला जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) तीन-चार महीने में अगले चरण के लिए तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि करदाताओं को नए मानदंड के पालन के लिए पर्याप्त मोहलत दी जाएगी।
ई-चालान व्यवस्था अक्टूबर 2020 में शुरू की गई थी और 500 करोड़ रुपये तथा अधिक सालाना कारोबार वाली इकाइयों के लिए इसे अनिवार्य बनाया गया था। बाद में कारोबारियों के आपसी सौदों के लिए यह सीमा घटाकर 100 करोड़ रुपये और फिर 50 करोड़ रुपये कर दी गई। अभी 20 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली इकाइयों के लिए ई-चालान अनिवार्य है।
समझा जाता है कि अधिक संख्या में सौदों को ई-चालान सुविधा प्रदान करने के लिए जीएसटीएन कम से कम छह पंजीकरण पोर्टलों को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। फिलहाल सभी कारोबारों के लिए एक ही चालान पंजीकरण पोर्टल है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘पोर्टल की संख्या बढ़ने से उद्यमियों को बिना किसी परेशानी के चालान पंजीकरण सेवा सुनिश्चित करने के लिए समुचित आईटी ढांचा और संबंधित तंत्र मिलेगा। साथ ही करदाताओं के पास विभिन्न पोर्टलों की सेवाएं चुनने का भी विकल्प होगा। जीएसटी प्रणाली पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा।’
जीएसटी नेटवर्क ने चालान पंजीकरण पोर्टल के लिए चार कंपनियों - सिग्नेट इन्फोपाथ, आइरिस बिजनेस सर्विसेज, डेफमैक्रो सॉफ्टवेयर (क्लियरटैक्स) और अर्न्स्ट ऐंड यंग एलएलपी - के साथ करार किया है।
एक अधिकारी ने बताया, ‘जीएसटी परिषद को पिछले हफ्ते पोर्टल की संख्या बढ़ाने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया था और उसने इसके लिए मंजूरी दे दी थी।’
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 20 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये सालाना कारोबार के दायरे में कुल 2.19 लाख पात्र जीएसटी पहचान क्रमांक (जीएसटीआईएन) हैं जिनमें से केवल 1.53 लाख ही चालान जारी कराते हैं। इसी तरह 50 करोड़ रुपये से 100 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली 86,943 इकाइयों के पास जीएसटीआईएन है और उनमें से 48,217 चालान जारी कराती हैं।
ईवाई में पार्टनर विपिन सप्रा ने कहा, ‘ई-चालान के लिए कारोबार की सीमा घटाने से फर्जी बिलों के जरिये होने वाली राजस्व चोरी पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। अभी कागजी चालान से आंकड़ों के बेमेल होने और मानवीय त्रुटि की आशंका रहती है, जो नई व्यवस्था में दूर हो सकती है।’ ई-चालान के तहत कंपनियों को सरकार के पोर्टल से आईआरपी बनाना होगा और माल की आवाजाही के दौरान अधिकारियों को दिखाना होगा।
|