जीएसटी से रुकेगा राजस्व रिसाव : जौहरी | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली July 01, 2022 | | | | |
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन विवेक जौहरी ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद का गैर ब्रांडेड पैकेज्ड उपभोक्ता वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने के फैसले से राजस्व में रिसाव रुकेगा और विवादों में कमी आएगी।
दही, पनीर, लस्सी, छाछ जैसी पैकेज्ड उपभोक्ता वस्तुओं पर अब 18 जुलाई से 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, चाहे व पंजीकृत ब्रांड हो या नहीं। जौहरी ने एक वार्ता में कहा, ‘अगर यह पैकेज्ड या लेवल्ड है तो इस पर कर लगेगा।’
बहरहाल जो सामान पैकिंग में नहीं हैं और उन पर लेवल नहीं लगा है, उन्हें जीएसटी से छूट मिलेगी। परिषद ने बुधवार को विपरीत शुल्क ढांचे को सही करने के लिए कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर कर बढ़ा दिया था, जबकि 15 उपभोक्ता वस्तुओं को कर छूट की सुविधा खत्म करने का फैसला किया था।
सीबीआईसी के चेयरमैन ने कहा कि परिषद द्वारा लिए गए सभी फैसले बगैर किसी हस्तक्षेप के मजबूत कर व्यवस्था बनाने की दिशा में होंगे। उन्होंने कहा, ‘सभी फैसले कर व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी बनाने और राजस्व व्यवस्था उत्पादक बनाने के लिए होते हैं। अगर आप इसके ब्योरे को देखेंगे तो पता चलेगा कि इससे अनुपालन के हिसाब से करदाताओं को राहत मिली है। कुल मिलाकर इसके पीछे विचार यह है कि व्यवस्था को यथासंभव सरल बनाया जाए और कोई हस्तक्षेप न हो। जब हम ऐसा करते हैं तो हम ईमानदार करदाताओं की जिंदगी आसान बनाने की कवायद करते हैं।’
जीएसटी व्यवस्था में सुधार के फैसले पर जौहरी ने कहा कि इससे फर्जी इनवाइस बनाने के मामलों में कमी आएगी और अन्य जीएसटी धोखाधड़ी को उल्लेखनीय रूप से रोका जा सकेगा, साथ ही इससे काले धन का सृजन भी खत्म होगा।
उन्होंने कहा, ‘इससे उन लोगों की गतिविधियों पर लगाम लगेगी, जो फर्जी इनवाइस जारी करते हैं और व्यवस्था के भीतर खराब क्रेडिट बनती है। इससे राजस्व का नुकसान होता है।’
राज्यों के समर्थन के साथ केंद्र ने नवंबर 2020 में शुरू प्रवर्तन अभियान के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी चिह्नित की है।
जौहरी ने कहा कि विभिन्न विभागों के आंकड़ों के एकीकरण के सुझावों से जोखिम कम करने में आगे और मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘हम पहले ही जीएसटी, सीमा शुल्क व आयकर के आंकड़ों को एक दूसरे से साझा कर रहे हैं इससे आंकड़ों के हिसाब से समृद्धि आई है। इसका इस्तेमाल जोखिम प्रोफाइल तैयार करने में बेहतर तरीके से हो रहा है। इसके अलावा जीएसटीएन भी कंपनी मामलों के विभाग (एमसीए) के साथ आंकड़े साझा कर रहा है। साथ ही हम यूआईडीएआई के साथ भी आधार संबंधित आंकड़ों के लिए आंकड़ों की अदल-बदली कर रहे हैं।’
जौहरी ने कहा कि सूचना तकनीक सुधारों पर मंत्रियों के समूह के सुझाव रिस्क प्रोफाइलिंग के लिए बहुत प्रभावी हैं। उन्होंने कहा, ‘पहला, नए करदाताओं के लिए कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल। दूसरा, बिजली मीटर के आंकड़े को जीएसटी व्यवस्था से जोड़ना, जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि जो व्यक्ति पंजीकरण चाहता है, वास्तव में उस जगह पर भौतिक रूप से मौजूद है। एक और मसला स्थल की जियोटैगिंग का है। इस तरह से हमें लगता है कि इन तीनों से हमें जीएसटी व्यवस्था दुरुस्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह भी आकलन हो सकेगा कि जो करदाता व्यवस्था में शामिल हो रहा है, वह भौतिक इकाई है और वह सिर्फ फर्जी इनवाइस नहीं बना रहा है।’
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