दो साल में सबसे खराब प्रदर्शन | दीपक कोरगांवकर और पुनीत वाधवा / मुंबई/नई दिल्ली June 30, 2022 | | | | |
भारतीय इक्विटी बाजार पिछले दो वर्षों का अपना सबसे खराब छमाही प्रदर्शन दर्ज करने को तैयार हैं, क्योंकि बाजार धारणा कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली छमाही में काफी कमजोर हो गई है। रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय तक भूराजनीतिक टकराव और उसकी वजह से प्रमुख जिंस कीमतों में तेजी के कारण बाजार धारणा प्रभावित हुई है। इसके अलावा, तेजी से बढ़ रही मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा दर वृद्धि से भी इक्विटी बाजार में तेजी की रफ्तार थमी है।
जहां प्रमुख सूचकांकों – सेंसेक्स और निफ्टी50 में कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली छमाही में करीब 9 प्रतिशत की कमजोरी आई, वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में गिरावट इस अवधि के दौरान 12 प्रतिशत और 15 प्रतिशत रही। क्षेत्रों के संदर्भ में बात की जाए, तो पता चलता है कि सबसे बड़ी गिरावट धातु और आईटी शेयरों में दर्ज की गई, जबकि अच्छा प्रदर्शन वाहन शेयरों में देखा गया।
कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली छमाही में प्रमुख सूचकांक करीब 15 प्रतिशत कमजोर हुए, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में कोविड-19 महामारी की वजह से बढ़ी अस्थिरता की वजह से 13 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की गिरावट आई।
विश्लेषकों का मानना है कि कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में भी अस्थिरता रहेगी, लेकिन उन्हें बाजारों में सुधार के आसार दिख रहे हैं, यदि वैश्विक केंद्रीय बैंक, खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपने दर वृद्धि चक्र में नरमी लाने का संकेत दे।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही भी वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए चुनौतीपूर्ण बनी रहेगी। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका है, जिससे इक्विटी बाजारों में गिरावट बढ़ सकती है। साथ ही कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में बाजारों के गिरावट से उबरने की भी संभावना है। दूसरी तरफ, भारतीय बाजार अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले मजबूत बने रह सकते हैं। निवेशकों को यह नजर रखने की जरूरत होगी कि विदेशी निवेशकों का प्रवाह कैसा रहेगा।’
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार 9 महीनों से शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं। नैशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरीज (एनएसडीएल) के आंकड़े के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली छमाही में उन्होंने इक्विटी बाजारों से 2.15 लाख करोड़ रुपये निकाले और अक्टूबर 2021 से उनकी बिकवाली का आंकड़ा 2.51 लाख करोड़ रुपये के आसपास रहा है।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट में इंडिया इक्विटी रिसर्च के प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने प्रेमल कामदार के साथ लिखी रिपोर्ट में लिखा है, ‘ऊंची मुद्रास्फीति और केंद्रीय बैंकों द्वारा सख्ती बरते जाने से आय वृद्धि में डाउनग्रेड के जोखिम बढ़ रहे हैं। हालांकि हमें भारतीय इक्विटी के लिए बहुत ज्यादा आय अनुमान कटौती की गुंजाइश नहीं दिख रही है, लेकिन यदि वैश्विक समस्याएं और बदतर होती हैं तो आय में कमजोरी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।’
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