एफपीआई को जिंस वायदा की अनुमति | बीएस संवाददाता / मुंबई June 30, 2022 | | | | |
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को एक्सचेंज में कारोबार वाले जिंस वायदा (ईटीसीडी) बाजार में भाग लेने की आज अनुमति दे दी। नियामक का कहना है कि इस कदम से बाजार का दायरा और नकदी बढ़ेगी तथा बेहतर कीमतें तय होंगी।
शुरुआत में विदेशी निवेशकों को कृषि के अलावा अन्य जिंसों के वायदा और केवल नकदी वाले अनुबंधों में सौदा करने की अनुमति दी जाएगी। देसी बाजार में कृषि के अलावा तीन व्यापक जिंसों - सोना-चांदी, ऊर्जा तथा मूल धातु - में वायदा अनुबंध उपलब्ध है।
अधिक संवेदनशील कृषि जिंसों को सीमा से बाहर रखा गया है ताकि उनमें अनावश्यक अस्थिरता से बचा जा सके। इसके अलावा एफपीआई अनुमति वाले अनुबंधों में उतनी ही बकाया पोजिशन रख सकते हैं, जितनी बकाया पोजिशन की इजाजत म्युचुअल फंडों के लिए लागू अनुबंधों में है।
इस साल की शुरुआत में सेबी द्वारा जारी परामर्श पत्र के मुताबिक ही जिंस वायदा में एफपीआई को अनुमति देने का कदम उठाया गया है। नियामक ने यह जांचने के लिए भी एक कार्यसमूह बनाया है कि एफपीआई के लिए अतिरिक्त जोखिम प्रबंधन उपाय रखने की जरूरत तो नहीं है। सेबी इस आशंका के कारण जिंस बाजार में एफपीआई को अनुमति देने में सतर्कता बरतता रहा है कि अचानक पूंजी आने से बाजार में बाधाएं आ सकती हैं।
डीएसके लीगल के पार्टनर गौरव मिस्त्री ने कहा, ‘हालांकि ऐसी आशंकाएं हैं कि एक्सचेंज में कारोबार वाला जिंस वायदा बाजार एफपीआई के लिए खोलने से अधिक अस्थिरता की स्थिति बन सकती है लेकिन यह भी तर्क दिया जा सकता है कि पर्याप्त संतुलन के साथ इस तरह की भागीदारी कीमत को प्रभावित किए बिना अपेक्षाकृत बड़े ऑर्डर लाकर बाजार की क्षमता बढ़ाएगी जिससे नकदी बढ़ेगी और बेहतर मूल्य तय करने में मदद मिलेगी।’
हालांकि बाजार के खिलाड़ियों ने कहा कि सीमित स्तर पर इजाजत देने से बाजार की पूरी क्षमता शायद सामने नहीं आए। मोतीलाल ओसवाल में प्रमुख (वस्तु और मुद्रा) किशोर नार्ने ने कहा, ‘यह हमारे बाजारों का दायरा बढ़ाने की दिशा में छोटा सा कदम हो सकता है। मगर यह पूंजी के मुक्त प्रवाह और विदेशियों के लिए व्यापार सुगमता की राह तैयार करता है, जिसमें कीमत पर असर नहीं होगा और हमारे बाजारों में नकदी बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि एफपीआई घरेलू बाजारों में कारोबार करने के लिए शायद अधिक उत्साहित नहीं होंगे क्योंकि उनके पास दुनिया भर में अधिक नकदी वाले बाजारों में इसी तरह के अनुबंधों में कारोबार करने का विकल्प हो सकता है।
इससे पहले सेबी ने तथाकथित पात्र विदेशी संस्थाओं (ईएफई) को भारतीय जिंस वायदा बाजार में भाग लेने की अनुमति दी थी, लेकिन यह उनके निवेश को हेज करने की सीमा तक ही था। वहीं कमोडिटी एक्सचेंजों ने अब तक कई ईएफई को मंच पर लाने की कोशिश की लेकिन बंदिशों वाले नियामक ढांचे के कारण इन संस्थाओं की भागीदारी शून्य रही है।
सेबी ने अब मौजूदा ईएफई विकल्प को बंद कर दिया है और कहा है कि एफपीआई के जरिये विदेशी निवेश किया जा सकता है। सेबी बोर्ड ने आज यह फैसला लिया। नियामक जल्द ही एक विस्तृत रूपरेखा जारी कर सकता है और इस संबंध में मानदंडों की अधिसूचना दे सकता है। सेबी बोर्ड ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप कॉरपोरेट बॉन्ड रीपो लेनदेन के शोधन और निपटान के लिए सीमित उद्देश्य समाशोधन निगम (एलपीसीसी) से संबंधित बदलावों को भी मंजूरी दे दी है।
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