वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने मंगलवार को जीएसटी दर को सरल बनाने के लिए कुछ वस्तुओं और सेवाओं की दरों में बढ़ोतरी करने और बड़ी उपभोक्ता वस्तुओं पर छूट हटाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। ये दरें वाजिब बनाने से जुड़ी मंत्रिस्तरीय समिति द्वारा पेश की गई अंतरिम रिपोर्ट के अनुरूप है। यह कदम बेहद अहम है और उन राज्यों के लिए मददगार साबित होगा, जो 30 जून के बाद भी मुआवजा व्यवस्था जारी रखे जाने या राजस्व की कमी से निपटने के लिए उसमें राज्यों की हिस्सेदारी मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं। हालांकि इस फैसले से उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ और बढ़ जाएगा। परिषद के दो सदस्यों ने कहा कि परिषद आज राज्यों के मुआवजे में विस्तार के साथ-साथ कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और जुए के समान रेसिंग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के महत्त्वपूर्ण मुद्दे उठाएगी। बैठक के दौरान परिषद ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई की अध्यक्षता में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की दरों को तार्किक बनाने से जुड़ी अंतरिम रिपोर्ट को मंजूरी दी। साथ ही लस्सी, छाछ, पापड़, कुछ खाद्यान्न (जौ बाजरा), गुड़ और कुछ सब्जियों सहित 15 वस्तुओं पर छूट का प्रस्ताव दिया। मगर खुले और बिना लेबल वाले सामान पर छूट मिलती रहेगी। परिषद ने समिति के तर्क का समर्थन किया है कि छूट के संदर्भ में ‘ब्रांडेड’ शब्द के कारण विवाद और राजस्व में कमी जैसी स्थिति बन रही है। यह समिति की उन टिप्पणियों से भी सहमत था कि कुछ राज्यों में इन वस्तुओं से मिलने वाला राजस्व जीएसटी से पहले के दौर की तुलना में काफी कम हो गया है क्योंकि जीएसटी में कवरेज का दायरा कम हो गया है। परिषद ने विवादों से बचने के लिए खुदरा बिक्री के लिए ‘ब्रांडेड’ शब्द की जगह ‘प्री पैकेज्ड और लेबल’ का इस्तेमाल करने की मंजूरी दी है। फिलहाल ब्रांडेड अनाज और खाने पर 5 फीसदी प्रतिशत जीएसटी लगता है। परिषद ने यह भी महसूस किया कि छूट या रियायती दर वाली विनिर्मित वस्तुओं की संख्या कम की जानी चाहिए क्योंकि इनसे जीएसटी दर कम-बढ़ होती हैं और देसी क्षमता निर्माण पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। महंगा हुआ सामान : जानकारी के मुताबिक परिषद ने एलईडी लैंप, स्याही, चाकू, ब्लेड, बिजली से चलने वाले पंप, डेरी मशीनरी जैसी वस्तुओं पर कर की दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी है। इसी तरह अनाज पीसने वाली मशीनरी पर कर की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है। इसके अलावा सरकार तथा स्थानीय प्राधिकारों को ठेके पर कामकाज की सेवा प्रदान करने पर 18 प्रतिशत कर लगेगा। रियायत पर कैंची : परिषद ने कुछ सेवाओं पर दी जाने वाली रियायतें खत्म करने की सिफारिश भी की है। मिसाल के तौर पर पूर्वोत्तर राज्यों से यात्रियों को विमानों के बिजनेस क्लास में यात्रा करने जैसी सेवा, 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल पर अब 12 प्रतिशत कर लगेगा। अस्पताल में आईसीयू के अलावा 5,000 रुपये रोजाना किराये वाले कमरों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के बगैर 5 प्रतिशत कर लग सकता है। परिषद ने सोने, आभूषणों और रत्नों के अंतरराज्यीय कारोबार पर ईवे बिल की व्यवस्था जरूरी की ताकि कर चोरी रोकी जा सके। परिषद ने राज्यों को यह तय करने अधिकार दिया कि किस सीमा के ऊपर इलेक्ट्रॉनिक बिल अनिवार्य होगा। समिति ने अनुशंसा की थी कि यह सीमा 2 लाख रुपये या उससे अधिक रखी जाए।
