बैंकों के जमा पत्रों से डेट फंडों के निवेश में दोगुना इजाफा हुआ | चिराग मडिया / मुंबई June 28, 2022 | | | | |
बैंकों द्वारा जारी जमा पत्रों (सीडी) के मुकाबले डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं का निवेश पिछले साल में दोगुना से भी ज्यादा हो गया।
इस बीच, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) द्वारा जारी वाणिज्यिक पत्रों के लिए निवेश 17.5 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत बढ़ गया।
उद्योग की कंपनियों का कहना है कि जी-सेक में निवेश का बड़ा हिस्सा ब्याज दर वृद्धि की आशंकाओं से कम अवधि के बॉन्डों से जुड़ा रहा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के आंकड़े के अनुसार, जी-सेक के लिए निवेश मई में 2.93 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया, जो एक साल पहले 2.73 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि बैंक सीडी में निवेश मई में बढ़क 1.58 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
ट्रस्ट एमएफ में मुख्य कार्याधिकारी संदीप बागला ने कहा, ‘कई डेट योजनाओं के सांविधिक तरलता नियम हैं जिनमें फंडों को तरलता बनाए रखने के लिए जी-सेक/बॉन्ड बिलों में निवेश करने की जरूरत होती है। इससे ज्यादा जी-सेक होल्डिंग का स्पष्ट संकेत मिलता है।’
अल्पावधि की जी-सेक में निवेश को आगे बढ़ाने की दर काफी आकर्षक है। पिछले पांच साल में डेट फंडों ने ब्याज दर वृद्धि की उम्मीद में कई डेट योजनाओं के लिए औसत परिपक्वता घटाई है।
अक्सर निर्धारित आय वाली प्रतिभूतियों की कीमतों पर मौजूदा ब्याज दरों का असर बना हुआ है। जब ब्याज दरें घटती हैं, निर्धारित आय वाली प्रतिभूतियों की कीमतें बढ़ती हैं। वहीं जब ब्याज दरों में इजाफा होता है, इन प्रतिभूतियों की कीमतें नीचे आती हैं।
पिछले दो महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में 90 आधार अंक तक का इजाफा किया है।
बैंक जमा पत्रों के निवेश में भारी वृद्धि ऋण में तेजी की वजह से हुई है। म्युचुअल फंड अधिकारियों का कहना है कि कम जमा वृद्धि की आशंका और बढ़ती ऋण लागत से बैंकों को पिछले कुछ महीनों में ये योजनाएं जारी करने के लिए आगे आना पड़ा।
रेटिंग एजेंसी केयर के अनुसार, बैंक ऋणों में सालाना आधार पर 12.1 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की गई और20 मई को समाप्त पखवाड़े के लिए इसमें 611 आधार अंक तक का इजाफा दर्ज किया गया, जो एक साल पहले की समान अवधि के 6 प्रतिशत से कुछ ज्यादा है।
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