ट्रकों पर प्रतिबंध से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर असर! | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली June 27, 2022 | | | | |
इस साल अक्टूबर से फरवरी 2023 के बीच 5 महीने के लिए ट्रकों व अन्य भारी वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले से सब्जियों व अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में व्यवधान आ सकता है। सरकार ने जाड़े के मौसम में वायु प्रदूषण कम करने के लिए यह प्रतिबंध लगाया है और अगर आवश्यक जिंसों को इस प्रतिबंध से ढील नहीं मिलती है तो सब्जियों व अन्य जरूरी सामान के दाम बढ़ सकते हैं।
व्यापारियों ने कहा कि जब भी इस तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो आवश्यक वस्तुओं जैसे सब्जियों, फलों व दूध की आपूर्ति को इसके दायरे से बाहर रखा जाता है क्योंकि इसका भंडारण नहीं हो सकता और इस साल के मामले में भी यही हो सकता है।
ढुलाई से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बहरहाल सही ब्योरा प्रतिबंध की तिथि नजदीक आने पर ही मिल सकेगा।’ इंडियन फाउंडेशन ऐंड ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के समन्वयक और सीनियर फेलो एसपी सिंह ने कहा कि सीएनजी लगे ट्रक इस प्रतिबंध से बाहर होगे और यह केवल डीजल वाले ट्रकों पर लागू होगा। सिंह ने कहा, ‘एक दिन में करीब 50,000 डीजल ट्रक शहर में आते हैं, जिनकी आवाजाही प्रतिबंध से प्रभावित हो सकती है।’
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर असर कम रह सकता है, अगर जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति को इससे छूट मिलती है, लेकिन सरकार को ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाने की जगह प्रदूषण घटाने के अन्य तरीकों पर विचार करना चाहिए।
अपने आदेश में दिल्ली सरकार ने कहा है कि 1 अक्टूबर से अगले साल 28 फरवरी तक शहर में ट्रकों के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। सर्दियों में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर खराब हो जाती है और पॉल्यूटेंट पार्टिकुलेट मैटर 2.5 या पीएम 2.5 जाड़ों में तय सीमा से बहुत ऊपर चला जाता है।
दिल्ली में प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ जाने की कई वजहें हैं, जिनमें औद्योगिक कचरा, वाहनों का धुआं, दिवाली के दौरान जलाए जाने वाले पटाखे, पड़ोसी राज्य हरियाणा और में पराली जलाया जाना शामिल है।
हाल के वर्षों में दिल्ली सरकार ट्रकों के प्रवेश पर तब प्रतिबंध लगाती थी, जब जाड़े में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता था। इस बार सरकार ने पहले ही प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है, जिससे कि वायु प्रदूषण के चरम स्तर से बचा जा सके।
कॉन्फेडरेशन आप आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने दिल्ली सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। संगठन का कहना है कि इस फैसले से दिल्ली का कारोबार खासकर त्योहारों और शादी विवाह के मौसम में प्रभावित होगा, क्योंकि यही 5 महीने (अक्टूबर से फरवरी) कारोबार के प्रमुख महीने होते हैं। सीएआईटी ने इस मसले पर चर्चा के लिए दिल्ली के प्रमुख उद्योग संगठनों की बैठक 29 जून को बुलाई है, जिससे आगे की कार्रवाई पर फैसला किया जा सके। संगठन ने एक बयान में कहा, ‘इससे ट्रांसपोर्ट के कारोबार पर भी बहुत बुरा असर पड़ेगा, इसलिए सीएआईटी ट्रांसपोर्ट संगठनों से भी बात कर रहा है और अगर दिल्ली सरकार के खिलाफ कोई प्रदर्शन होता है तो उसमें तालमेल बिठाकर काम किया जाएगा।
सीएआईटी के सेक्रेटरी जनरल प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ‘लंबी दूरी के कारण कोई भी ट्रक इलेक्ट्रिक या सीएनजी से नहीं चल सकता।’ उन्होंने कहा कि एसोसिएशन इस सिलसिले में दिल्ली के लेफ्टीनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना से मिलकर अपनी बात रखने की योजना भी बना रहा है और अगर जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।
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