भारत में आम तौर पर परिवार चलाने वाले यानी रोजी-रोटी कमाने वाले का ही जीवन बीमा लिया जाता है। ज्यादातर घरों में गृहिणियों का बीमा नहीं होता। लेकिन अब हालात बदलने लगे हैं। पॉलिसीबाजार ने इसी साल अप्रैल में 5,000 लोगों का ऑनलाइन सर्वेक्षण किया, जिसमें पता चला कि लगभग 15 फीसदी सक्रिय पॉलिसी गृहिणियों के लिए कराए गए टर्म बीमा की हैं। मगर गृहिणियों के लिए अलग से टर्म बीमा योजना हाल ही में मिलनी शुरू हुई हैं।कुछ ही गृहिणियों का बीमा परिवारों में आम तौर पर गृहिणियों का बीमा नहीं कराया जाता क्योंकि उनके योगदान को अनदेखा कर दिया जाता है। पॉलिसीबाजार में कारोबार प्रमुख (टर्म जीवन बीमा) सज्जा प्रवीण चौधरी कहते हैं, ‘भारत में किसी भी व्यक्ति का आर्थिक योगदान वित्तीय कमाई के चश्मे से ही देखा जाता है। चूंकि गृहिणी कमाकर नहीं लाती, इसलिए उसके योगदान को पूरी तरह अनदेखा कर दिया जाता है।’ लेकिन गृहिणी के कामकाज की भी आर्थिक कीमत होती है। वह घर संभालती है और बजट का ध्यान रखती है। बच्चों की देखभाल का जिम्मा भी उसी का होता है। कई परिवारों में वह बुजुर्गों का भी ध्यान रखती है और परिवार के लिए खाना भी पकाती है। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के उप प्रबंध निदेशक वी विश्वानंद मानते हैं कि गृहिणी के तौर पर महिला का योगदान बेहद जरूरी होता है और उसके बगैर काम नहीं चल सकता। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि गृहिणी के समूचे योगदान की कीमत निकाली जाए तो शहरी भारत में आम मध्यवर्गीय परिवार में यह 45 से 50 हजार रुपये महीने बैठेगी।पति के बीमा में ऐड-ऑन इस समय ज्यादातर बीमा कंपनियां कमाऊ पति के बीमा के साथ ही गृहिणी को भी ऐड-ऑन बीमा दे रहे हैं। सिक्योरनाउ इंश्योरेंस ब्रोकर के सह-संस्थापक कपिल मेहता का कहना है, ‘गृहिणियों के लिए जीवन बीमा के विकल्प बहुत कम हैं। यदि कमाऊ पति और घर संभालने वाली पत्नी दोनों मिलकर जीवन बीमा लेते हैं तो पत्नी के लिए एश्योर्ड राशि पति की एश्योर्ड राशि की 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी।’ 50 फीसदी की इसी बंदिश की वजह से पति को कम से कम 1 करोड़ रुपये का बीमा लेना चाहिए ताकि पत्नी का भी ठीकठाक राशि का जीवन बीमा हो। बीमा कंपनियों का कहना है कि गृहिणियों के लिए ऐश्योर्ड राशि की एक सीमा इसीलिए तय की गई है ताकि नैतिक पतन न हो सके। इसे समझाते हुए वे कहती हैं कि अतीत में ऐसे कई मामले आए हैं, जहां पति ने अपनी पत्नी के लिए बहुत अधिक राशि का बीमा करा लिया और बाद में बीमा की रकम हासिल करने के लिए पत्नी का कत्ल कर दिया।स्टैंडअलोन बीमा भी बहुत कम केवल दो बीमा कंपनियां गृहिणियों के लिए अलग से स्टैंडअलोन टर्म बीमा प्रदान करती हैं। इनमें से एक मैक्स लाइफ इंश्योरेंस (दूसरी टाटा एआईए) है, जो 18 से 50 साल के बीच उम्र वाली गृहिणियों का बीमा करती है। अगर गृहिणी स्नातक होती है और परिवार की कुल आय 5 लाख रुपये होती है तो गृहिणी को 50 लाख रुपये का बीमा मिल सकता है। चौधरी बताते हैं, ‘इस पॉलिसी ने पति की आय पर गृहिणी की निर्भरता पूरी तरह खत्म कर दी है।’क्या करें गृहिणी? गृहिणियों को सबसे पहले टर्म बीमा पाने की कोशिश करनी चाहिए। असोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (एआरआईए) के बोर्ड सदस्य दिलशाद बिलिमोरिया की राय है, ‘एकदम सादा टर्म प्लान सबसे अच्छा बीमा होता है।’ यदि गृहिणी को यह बीमा नहीं मिल पाए तो वह कम प्रीमियम वाली एंडाउमेंट पॉलिसी खरीद सकती है। कई बीमा योजनाएं ऐसी भी हैं, जिनमें निवेश का पहलू भी मिला हुआ है। इनसे तौबा ही करना चाहिए क्योंकि वे कम प्रीमियम पर ज्यादा राशि का बीमा नहीं देते। गृहिणी का कम से कम 20 से 50 लाख रुपये का बीमा होना ही चाहिए। विशेषज्ञों की राय है कि बच्चे छोटे हों तो उनके अपने पैरों पर खड़े होने यानी अगले दस साल तक पति या पत्नी को उनकी देखभाल के लिए कम से कम 4 से 6 लाख रुपये सालाना चाहिए। बिलिमोरिया कहते हैं, ‘गृहिणी के लिए टर्म बीमा खरीदते समय पक्का कर लीजिए कि बीमा कवरेज तब तक मिलता रहे, जब तक वह काम करने में सक्षम है।’ पॉलिसी खरीदते समय गृहिणी को सब कुछ सही-सही बता देना चाहिए। मेहता कहते हैं, ‘साफ-साफ बताइए कि आप गृहिणी हैं। अगर आपके नाम पर किसी तरह की आय मसलन किराये से होने वाली आय आती है तो उसका खुलासा भी कर दीजिए। इससे आपको ऐश्योर्ड राशि बढ़वाने में मदद मिल जाएगी।’
