भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इन दिनों प्रीपेड भुगतान उपकरणों (पीपीआई) और बाय नाऊ, पे लैटर (बीएनपीएल) यानी पहले खरीदारी और बाद में भुगतान की सेवाएं देने वाली कंपनियों के काम और इनके मॉडल की जांच कर रहा है। हाल ही में केंद्रीय बैंक ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियां बिना किसी प्राधिकरण अनुमति के नवाचार की आड़ में वैसी नियमित गतिविधियां नहीं कर सकती हैं जिसके लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। इस सप्ताह की शुरुआत में आरबीआई ने गैर-बैंकिंग पीपीआई जारीकर्ताओं को अपने वॉलेट और कार्ड क्रेडिट लाइनों को नहीं जोड़ने का निर्देश दिया था। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि फिनटेक कंपनियों ने आरबीआई के निर्देश पर और स्पष्टता की मांग करते हुए शीर्ष बैंक से संपर्क किया है और अब आरबीआई उनकी चिंताओं पर गौर कर रहा है। हालांकि आरबीआई इस बात को लेकर स्पष्ट है कि अगर नियमन के तहत एक कंपनी या इकाई को लाइसेंस के साथ कारोबार करने की अनुमति दी जाती है तो किसी अन्य कंपनी को नवाचार के नाम पर लाइसेंस के बिना समान तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हस्तक्षेप आवश्यक भी था क्योंकि इसके नियामक दायरे के बाहर मौजूद कुछ नई संस्थाओं को प्रणाली के लिए खतरा माना जा रहा था। क्रेडिट लाइन वाले पीपीआई में मोटे तौर पर लगभग तीन मॉडल हैं जिनकी जांच शीर्ष बैंक कर रहा है। पहला मॉडल क्रेडिट कार्ड कंपनियों के समान है जबकि दूसरा मॉडल ऐसा है जिसमें परिचालक ऋण हासिल कर इसे कार्ड लोडिंग के रूप में पीपीआई धारक को दे रहा है। तीसरा पीपीआई धारक है जो ऋण पाकर इसे खर्च कर रहा है। सूत्रों के अनुसार बीएनपीएल के लिए, मॉडल हरेक मंच पर अलग होते हैं। जब तक बीएनपीएल में एक मध्यस्थ के माध्यम से ऋण जुड़ा होता है तब तक ये कारोबारी ऋण हैं। हालांकि, अगर इस समान मॉडल में क्रेडिट लाइन शामिल है और भुगतान किए जाने के तुरंत बाद क्रेडिट लाइन की भरपाई की जाती है तो यह बीएनपीएल के समान नहीं है जिसका इस्तेमाल अधिक मूल्य की खरीद के लिए किया जाता है। वर्तमान में, कई मॉडलों को बीएनपीएल के रूप में पेश किया जा रहा है और इसमें बैंकिंग नियामक के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। बीएनपीएल का इस्तेमाल क्रेडिट लाइन या क्रेडिट कार्ड की नकल करने के लिए नहीं किया जा सकता है जिसे केवल अब बैंकों को ही जारी करने की अनुमति दी गई है। शीर्ष बैंक ही यह स्पष्ट करेगा कि बैंक के नेतृत्व में संचालित होने वाले पीपीआई को उसके निर्देश से छूट दी जाएगी या मौजूदा फिनटेक खिलाड़ी बैंकों के साथ करार करते हुए केवाईसी, उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा कर सकते हैं। आरबीआई के निर्देश का पालन करने के लिए मांगे गए किसी भी स्पष्टीकरण या विस्तार को हितधारकों के साथ चर्चा के बाद तैयार किया जा सकता है। आरबीआई एक ऐसे ढांचे पर विचार कर रहा है जो नवाचार की गति बाधित किए बिना मौजूद हो सकता है और जिसमें ग्राहकों की सुरक्षा और साइबर सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का भी हल किया जाता है।
