युवाओं के लिए अग्निपरीक्षा साबित हुई योजना | श्रम-रोजगार | | महेश व्यास / June 24, 2022 | | | | |
गत 13 जून को आरंभ हुए सप्ताह में सरकार ने दो भर्ती कार्यक्रमों की घोषणा की लेकिन नाराज प्रदर्शनकारियों ने उसी सप्ताह सार्वजनिक संपत्तियों को आग के हवाले करना शुरू कर दिया। 14 जून को सरकार ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है कि अगले 18 महीनों में विभिन्न सरकारी मंत्रालयों द्वारा 10 लाख लोगों को रोजगार दिया जाए। युवाओं को रोजगार देने पर विशेष जोर दिया गया। यह एक महत्त्वाकांक्षी और बड़ी घोषणा है। इस सिलसिले पर नजर डालें तो 2019-20 में भारत ने 28 लाख नये रोजगार दिए थे। महामारी के पहले वह अंतिम सामान्य वर्ष था। ऐसे में सरकार द्वारा 10 लाख नये रोजगार का आंकड़ा काफी बड़ा है। सरकारी नौकरियों की मांग भी बहुत अधिक होती है इसलिए प्रधानमंत्री का निर्देश और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
नेताओं की यह मांग रही है कि इस कठिन समय में सरकारी रिक्तियां पूरी की जाएं और बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिए जाएं। ऐसे में प्रधानमंत्री का निर्देश सही समय पर आया और उन्होंने बड़े पैमाने पर रोजगार दिए जाने की बात कही। संभव है कि सरकार सभी रिक्तियां पूरी करने की स्थिति में न हो लेकिन फिर भी 18 महीनों में 10 लाख नौकरियों की बात कहना बड़ी बात है। बहरहाल, यह घोषणा ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर नहीं आकृष्ट कर पाई। बल्कि इसकी जगह सरकारी नौकरी की एक छोटी पेशकश ने गलत वजहों से कहीं अधिक सुर्खियां बटोरीं।
जिस दिन प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की उसी दिन रक्षा मंत्री ने भी यह घोषणा की कि अग्निपथ योजना के तहत युवाओं को सशस्त्र बलों में चार साल के कार्यकाल वाली नौकरी प्रदान की जाएगी।
अग्निपथ योजना के तहत आरंभ में 46,000 लोगों को नियुक्ति देने का वादा है। बाद के वर्षों में यह संख्या बढ़ायी जाएगी। दिक्कत यह है कि यह योजना सरकार के एक नियोक्ता के रूप में लक्ष्य तथा सशस्त्र बलों में भर्ती होने की इच्छा रखने वाले युवाओं की आकांक्षा में एक विरोधाभास दिखाती है।
अग्निपथ योजना के तहत केवल चार वर्ष के लिए नियुक्ति प्रदान की जाएगी और योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को चार साल के बाद न तो कोई स्वास्थ्य बीमा मिलेगा और न ही उन्हें कोई पेंशन मिलेगी। 25 प्रतिशत युवाओं को लंबी अवधि के लिए सेना में शामिल किया जाएगा और उन्हें अन्य नियमित लाभ भी मिलेंगे। सरकार और सशस्त्र बलों के हित अग्निपथ योजना के साथ एकदम सुसंगत हैं।
सरकार नहीं चाहती है कि भविष्य में उसका पेंशन पर होने वाला व्यय और बढ़े तथा सशस्त्र बल भी अपने लिए अधिकारी रैंक से नीचे युवा जवान चाहते हैं। लेकिन अग्निपथ योजना ने देश के युवाओं को चौंका दिया। ये जवान सेना में नियमित भर्ती की तैयारी कर रहे थे जिसमें रोजगार की अवधि लंबी थी और मौद्रिक तथा सामाजिक सुरक्षा भी थी। विरोध प्रदर्शन की शुरुआत बिहार और उत्तर प्रदेश में हुई। जल्दी ही यह विरोध पूरे उत्तर भारत में फैल गया और उसके बाद दक्षिण के कुछ हिस्सों खासकर तेलंगाना तक पहुंच गया। सरकार ने जल्दी ही कुछ रियायतों की घोषणा की लेकिन विरोध जारी रहा।
यह हिंसा दुखद है क्योंकि आमतौर पर देश के युवाओं ने रोजगार की कमी को लेकर विरोध नहीं दर्शाया है। मौजूदा विरोध प्रदर्शन वैसा ही है जैसा जनवरी 2022 में रेलवे की नौकरियों को लेकर हुआ था और यह सरकार द्वारा रोजगार के नियम बदलने पर केंद्रित है। रोजगार की अवधि और प्रकृति में अचानक बदलाव ने युवाओं को नाराज कर दिया।
देश में पहले ही पर्याप्त रोजगार नहीं तैयार हो रहे हैं। सरकारी नौकरियों में भर्ती में रुकावट के कारण युवाओं में क्रोध और हताशा घर करते जा रहे हैं।
अग्निपथ योजना के माध्यम से 17.5 वर्ष से 21 वर्ष तक की आयु के युवाओं को रोजगार देने की बात कही गई। बाद में आयु की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया गया ताकि उन युवाओं के गुस्से को शांत किया जा सके जो कोविड काल में भर्ती बंद होने के कारण 21 वर्ष से अधिक आयु के हो चुके थे।
17.5 से 21 वर्ष की आयु के अधिकांश युवाओं के बारे में कहा जा सकता है कि वे स्कूल या कॉलेज में होंगे। 2019 तक 15 से 19 की आयु के 4 प्रतिशत लोगों के पास रोजगार था। इससे पहले 2017 में इस आयु के करीब 7 फीसदी लोगों के पास रोजगार था। 2020 से यह अनुपात घटकर 2 फीसदी रह गया है। लेकिन सशस्त्र बलों में नौकरी की यही आयु है और नाराजगी भी इसी आयु के युवाओं में है।
इस बात को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि इस आयु समूह में बेरोजगारी की दर 2017 के 23 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 50 फीसदी से अधिक हो गई है। इस आयु समूह में हर दूसरा व्यक्ति बेरोजगार है और काम तलाश रहा है। यह स्थिति तब है जबकि श्रम भागीदारी की दर 5 फीसदी से कम है। श्रम भागीदारी की कम दर हमारी इस आकांक्षा के अनुरूप ही है कि इस आयु के युवा ज्यादातर पढ़ाई कर रहे हैं और बहुत कम युवा रोजगार की तलाश कर रहे होते हैं। लेकिन, रोजगार तलाशने वालों में से अधिकांश को रोजगार नहीं मिल पाता। इसके बाद 20-24 की आयु वर्ग के युवाओं के लिए आंकड़े उपलब्ध हैं। यह समूह भी अग्निपथ योजना से प्रभावित हुआ है। इस समूह के लिए श्रम भागीदारी दर 33.5 प्रतिशत थी। बेरोजगारी दर भी 41 फीसदी के साथ काफी ऊंची है। रोजगार दर करीब 20 प्रतिशत है।
15 से 24 वर्ष के इन युवाओं में से कुछ सैन्य बलों में रोजगार तलाश रहे हैं। वे नियम बदले जाने से नाराज हैं। ऐसे में जरूरी है कि हमारी सरकार अपनी वित्तीय स्थिति और बढ़ते युवाओं की आकांक्षा के बीच तालमेल कायम करे। सतत आर्थिक वृद्धि सबसे अच्छा उपाय है। भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है। लेकिन इस दर के साथ भी यह पर्याप्त रोजगार नहीं तैयार कर सकता और सरकार भी इतने संसाधन नहीं बढ़ा सकती कि वह रक्षा जरूरतों को पूरा कर सके। सरकार को धैर्यपूर्वक विश्वसनीय योजना बनानी होगी।
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