बागियों के लौटने पर गठबंधन तोड़ने पर विचार | सुशील मिश्र / June 24, 2022 | | | | |
महाराष्ट्र का सियासी संकट अब एक रोमांचक मोड़ पर खड़ा हो गया है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने अपने साथ 49 विधायकों की तस्वीर जारी कर सरकार और शिवसेना दोनों की नींव हिला दी है। राजनीतिक संकट से उभरने के लिए शिवसेना अपने बागी विधायकों की लगभग हर बात बनने को तैयार है।
मुख्यमंत्री, शिवसेना अध्यक्ष पद छोड़ने के प्रस्ताव के साथ राकांपा और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने के लिए भी तैयार हैं। लेकिन इसके लिए बागी विधायकों को पहले मुंबई आना होगा। शिवसेना के इस पैतरे ने सहयोगी दलों में हड़कंप मचा दिया है।
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बीच, पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा, ' आप कहते हैं कि आप असली शिवसैनिक हैं और पार्टी नहीं छोड़ेंगे। हम आपकी मांग पर विचार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते आप 24 घंटे में मुंबई वापस आएं और सीएम उद्धव ठाकरे के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें। आपकी मांग पर सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा। ट्विटर और व्हाट्सऐप पर चिट्ठी मत लिखिए। बागी, जो मुंबई से बाहर हैं, ने हिंदुत्व का मुद्दा उठाया है। अगर इन सभी विधायकों को लगता है कि शिवसेना को एमवीए से बाहर निकलना चाहिए, तो मुंबई वापस आने की हिम्मत दिखाएं। आप कहते हैं कि आपको सिर्फ सरकार के साथ परेशानी है और यह भी कहते हैं कि आप सच्चे शिवसैनिक हैं...आपकी मांग पर विचार किया जाएगा, लेकिन आएं और उद्धव ठाकरे से बात करें। '
मुख्यमंत्री ठाकरे ने बुधवार को शिंदे के विद्रोह के बीच शीर्ष पद छोड़ने की पेशकश की थी और बाद में अपना आधिकारिक आवास छोड़कर अपने पैतृक निवास मातोश्री चले गए हैं।
संजय राउत के इस बयान से महाराष्ट्र की सियासत में भूकंप आ गया है। अभी तक महा विकास आघाडी सरकार को बचाने का प्रयास न सिर्फ उद्धव ठाकरे बल्कि शरद पवार और कांग्रेस पार्टी भी कर रही थी। लेकिन ऐसे में राउत ने आघाडी से बाहर निकलने के बारे में सोचने का बयान देकर हड़कंप मचा दिया है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ' मैंने उद्धव ठाकरे को उनके बुधवार शाम के सार्वजनिक संबोधन में इस तरह बोलते नहीं सुना है। मुझे आश्चर्य होगा अगर उद्धव ठाकरे 24 घंटे से भी कम समय में इस तरह पलट जाते हैं। मुझे नहीं लगता कि ठाकरे ऐसा करेंगे। यह भी स्पष्ट नहीं है कि राउत का बयान शिवसेना का आधिकारिक रुख दर्शाता है या नहीं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि शिवसेना के किस धड़े को पार्टी का प्रामाणिक चेहरा माना जाना चाहिए। शिवसेना आंतरिक कलह का सामना कर रही है और इसे ठीक करने की जरूरत है। अंदरूनी मामले पर उनकी पार्टी कुछ नहीं कहेगी।'
राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी तक राउत की टिप्पणियों पर चर्चा नहीं की है। लेकिन हम चाहते हैं कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे, क्योंकि इसने कुछ अच्छे फैसले लिए हैं। शिवसेना के बागी विधायकों के इस रुख पर कि वे राकांपा और कांग्रेस के मंत्रियों के ‘भ्रष्टाचार’ के कारण एमवीए का हिस्सा नहीं बनना चाहते, पाटिल ने कहा कि अलग-अलग विधायकों के बयानों को शिवसेना का आधिकारिक रुख नहीं माना जाना चाहिए। राकांपा के एक अन्य नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पार्टी प्रमुख शरद पवार ने एमवीए का गठन किया था और वह अब भी चाहते हैं कि यह बरकरार रहे।
इस बीच महाराष्ट्र में बैनरबाजी भी शुरू हो गई। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में कई स्थानों पर एकनाथ शिंदे के समर्थन में बैनर और होर्डिंग लग गए हैं। तो कुछ स्थानों पर शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समर्थन में भी बैनर लगे हैं। शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने ठाणे शहर, कल्याण और डोंबिवली समेत जिले में अनेक स्थानों पर अपने नेता के समर्थन में होर्डिंग और बैनर लगाए हैं। ठाणे के पूर्व मेयर और पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेश म्हास्के ने शिंदे का समर्थन किया। बागी विधायकों ने पत्र लिखकर पार्टी में अपने अपमान का जिक्र किया। विधायक संजय शिरसाठ ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दावा किया कि शिवसेना विधायक ढाई साल से अपमान का सामना कर रहे थे जिसके चलते मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जाने का कदम उठाया। शिवसेना के सत्ता में होने और उसका अपना मुख्यमंत्री होने के बावजूद, ठाकरे के आसपास की मंडली ने उन्हें कभी भी वर्षा तक पहुंचने नहीं दिया।
महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने बागी विधायक एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को सदन में शिवसेना का विधायक दल का नेता नियुक्त किये जाने को मंजूरी दे दी है। जिरवाल ने कहा,' मुझे शिवसेना की ओर से एक पत्र मिला है, जिसमें सूचित किया गया है कि उसने अजय चौधरी को विधानसभा में विधायक दल का नेता नियुक्त किया है और शिंदे को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है। '
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