सरकार द्वारा अनाम डेटा का इस्तेमाल चिंताजनक : गूगल | सौरभ लेले और शिवानी शिंदे / नई दिल्ली/मुंबई June 23, 2022 | | | | |
गूगल के चीफ प्राइवेसी ऑफिसर कीथ एनराइट ने नीति निर्माताओं से एनॉनिमाइज्ड डेटा (अनाम डेटा) की बिक्री और डेटा के स्थानीयकरण के जोखिमों पर विचार करने को कहा है। उनका कहना है कि इससे उपभोक्तों की निजता पर असर पड़ सकता है और वैश्विक रूप से वितरित क्लाउड्स के लाभों में व्यवधान आ सकता है।
चुनिंदा संवाददाताओं के साथ बातचीत में एनराइट ने इस बात पर सहमति जताई कि एनॉनिमस डेटा के इस्तेमाल का जोखिम कम है, लेकिन एनॉनिमस डेटा क्या है, इसकी परिभाषा का मसला अहम है। उन्होंने कहा, ‘एनॉनिमस अलग अलग संदर्भों, अलग अलग कानूनी क्षेत्रों में अलग अर्थ देता है और एनॉनिमस या एनॉनिमाइजेशन को अलग अलग तरीके से परिभाषित किया गया है। हमें इसके बारे में विचार करना चाहिए और देखना चाहिए कि एनॉनिमस डेटा को हम किस तरह परिभाषित करते हैं।’ उन्होंने कहा कि शैक्षणिक शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि बड़े एनॉनिमस डेटा, जिन्हें शोध के लिए साझा किया जाता है, समय के साथ उनकी गोपनीयता खत्म हो जाती है। ऐसे में नीति निर्माताओं और कंपनियों को मैं प्रोत्साहित करना चाहूंगा कि जब वे इस दिशा में बढ़ते हैं तो बहुत ज्यादा सचेत रहें।
एनराइट की टिप्पणियां इसलिए और अहम हो गई हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय (मेइटी) ने 26 मई को नागरिकों के आंकड़ों, जिसमें भारतीय आंकड़ा प्रबंधन कार्यालय के आंकड़े भी शामिल हैं, के इस्तेमाल और भंडारण को लेकर एक नया मसौदा पेश किया है। इस नीति में निजी कंपनियों को गैर व्यक्तिगत आंकड़ों को स्टार्टअप और शोधार्थियों के साथ साझा करने को प्रोत्साहित किया गया है।
वैश्विक रूप से सरकारों द्वारा डेटा के स्थानीयकरण की जरूरतों पर एनराइट ने कहा कि इससे वैश्विक रूप से वितरित क्लाउड के खंडित होने का जोखिम है। उन्होंने कहा, ‘क्लाउड सुरक्षा, उपलब्धता, दक्षता और डेटा के स्थानीयकरण की समस्याओं को खत्म करने के हिसाब से तैयार किया गया था, जिससे अन्य कई लाभ मिल सकें।’
|