भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने येस बैंक से कहा है कि वह किसी परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) के हाथों अपने डूबते ऋण की बिक्री करने संबंधी योजना को नए व्यापक दिशानिर्देश जारी होने तक आगे न बढ़ाए। येस बैंक अपने 12,000 करोड़ रुपये मूल्य के डूबते ऋण की बिक्री प्रमुख अमेरिकी वित्तीय कंपनी जेसी फ्लावर्स द्वारा स्थापित की जाने वाली एआरसी को करने और नई एआरसी में हिस्सेदारी हासिल करने की योजना बना रहा है। रिजर्व बैंक चाहता है कि येस बैंक और नई एआरसी के बीच सौदे में हितों के टकराव संबंधी कोई विवाद पैदा न हो क्योंकि येस बैंक उस परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी में अल्पांश हिस्सेदारी हासिल करने की भी योजना बना रहा है। जेसी फ्लावर्स द्वारा की गई पेशकश के लिए स्विस चैलेंज फिलहाल लंबित है। येस बैंक ने संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों को आमंत्रित किए जाने के बाद जेसी प्लावर्स का चयन किया था। येस बैंक ने इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। इस मामले से अवगत एक सूत्र ने कहा , ‘आरबीआई एआरसी के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करने जा रहा है। उसमें यह भी बताया जाएगा कि क्या बैंक किसी एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी को अपने सभी एनपीए की बिक्री कर सकता है और बैंक उसमें हिस्सेदारी हासिल कर सकता है अथवा नहीं। आरबीआई चाहता है कि बैंक ऋण के लिए बोली लगाते समय सभी एआरसी को समान अवसर उपलब्ध कराया जाए।’ पिछले साल नवंबर में आरबीआई द्वारा गठित एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि लेनदारों को शुरुआती चरण की डूबती परिसंपत्तियों की बिक्री परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों को करने की अनुमति दी जाए ताकि अधिक से अधिक वसूली हो सके। समिति ने यह भी कहा था कि एआरसी को बेचे जाने वाले एनपीए की सभी श्रेणियों के लिए नियामकीय स्पष्टीकरण जारी करने की आवश्यकता है। शुरुआती चरण में ही वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री एआरसी के हाथों करने के लिए लेनदारों को प्रोत्साहित करने के लिए समिति ने दो साल के भीतर बिक्री पर होने वाले नुकसान का परिशोधन करने के लिए निरंतर आधार पर लेनदारों को छूट देने की सिफारिश भी की है। उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई इस संबंधी जल्द ही एक व्यापक दिशानिर्देश जारी करेगा। अपने डूबते ऋण को बेचने संबंधी येस बैंक की योजना ऐसे समय में आई है जब बैंक ने लगातार दो साल तक भारी घाटा दर्ज करने के बाद मार्च 2022 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान 1,066 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया है।
