एक महीने पहले भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम आया था। उस वक्त से ही कंपनी के शेयर में गिरावट देखी जा रही है। सुब्रत पांडा ने एलआईसी के चेयरमैन एम आर कुमार से शेयर के खराब प्रदर्शन से लेकर कंपनी की भविष्य की योजनाओं सहित कई विषयों पर बात की। एलआईसी का शेयर 875.45 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ था और शुक्रवार को 654.70 रुपये पर बंद हुआ। मूल्य में इस तरह की कमी क्या संकेत देते हैं? बाजार कुछ वक्त से काफी अस्थिर रहा है। इस समय हम यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि शेयर की कीमतों पर इसका कितना असर रहा है। हमारा मानना है कि बाजार के स्थिर होने पर हमारी अंदरूनी ताकत और प्रदर्शन की आजमाइश होगी। हम इस दिशा में काम भी कर रहे हैं। हम इस वक्त कोई आंकड़े नहीं दे सकते हैं कि शेयर की कीमत किस स्तर पर स्थिर होगी लेकिन जब बाजार में व्यापक सुधार होंगे तब शेयर की कीमतें भी बढ़ेंगी।शेयर के प्रदर्शन को देखते हुए क्या यह कहा जा सकता है कि आईपीओ जल्दबाजी में लाया गया, क्योंकि पॉलिसीधारक अपने पैसे गंवा रहे हैं? जब यूरोप में युद्ध की शुरुआत हुई तब हम इसे लाने का मन बना चुके थे लेकिन हम कुछ वक्त के लिए ठहर भी गए। इसके बाद हमने मौका देखा और सार्वजनिक निर्गम पेश की। अगर हम और देरी करते तब भी इस बात की कोई संभावना नहीं थी कि अगला मौका कब आ सकता था। पिछले दिनों के हिसाब से देखें तो वैश्विक और स्थानीय स्तर पर बाजार काफी मुश्किल दिखने लगा है। हमने इन सब बिंदुओं पर गौर करते हुए फैसला किया और मैं सभी पॉलिसीधारकों और कर्मचारियों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने आगे बढ़कर अपना योगदान दिया।निर्गम मूल्य तय करने और आईपीओ की मार्केटिंग में निवेश बैंकरों की भूमिका सही रही? उनका काम अच्छा था। बाजार और हालात के दबाव सभी पर थे। सरकार निवेश बैंकरों से मिली सूचनाओं के आधार पर फैसला लेने के लिहाज से बेहद निर्णायक रुख अपना रही थी। उन्हें निवेशकों से भी काफी फीडबैक मिला और मैं इसके लिए उनकी प्रशंसा करता हूं। आईपीओ के बाद बाजार के हालात निवेशकों के धैर्य को आजमा सकते हैं। ।आपके कुल कारोबार में बैंक के माध्यम से पॉलिसियों की बिक्री की कितनी हिस्सेदारी होगी? फिलहाल यह 3-3.5 फीसदी तक है। आगे कुछ वर्षों में हम इसे कम से कम 8 से 10 फीसदी के स्तर पर ले जाएंगे। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितने बैंकों तक पहुंच सकते हैं और उत्पादों को लॉन्च करने के लिए हम बैंक कर्मचारियों को कितना प्रशिक्षण दे सकते हैं। फिलहाल हमसे 14 बड़े बैंक जुड़े हैं जिनमें आईडीबीआई बैंक, 13 क्षेत्रीय बैंक और 45 सहकारी बैंक शामिल हैं। हम टियर 1, 2 और 3 क्षेत्रों में विस्तार करेंगे। दूसरा कदम इस माध्यम के लिए अलग तरह का उत्पाद लाना होगा। पांच साल में हम बाजार में पहले पायदान पर होंगे।आप हाल में आईडीबीआई बैंक के रोडशो के लिए गए। कैसी प्रतिक्रिया रही? सरकार और एलआईसी प्रबंधन के बीच इस बात को लेकर कितनी सहमति है कि आईडीबीआई बैंक में एलआईसी की कितनी हिस्सेदारी हो सकती है? रोडशो सफल था। आईडीबीआई बैंक में निवेशकों की काफी दिलचस्पी है जिसका प्रदर्शन पिछली कुछ तिमाहियों में अच्छा रहा है। एलआईसी की आईडीबीआई बैंक में अच्छी हिस्सेदारी होगी क्योंकि बहुत कम वक्त में बैंक के जरिये योजनाओं की बिक्री के लिहाज से इनका प्रदर्शन अच्छा रहा है और इनकी कई महत्त्वाकांक्षी योजनाएं हैं। हम सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत करेंगे कि हमारे पास हिस्सेदारी रहे। निश्चित तौर पर सरकार की हिस्सेदारी के विनिवेश पर सरकार ही बात करेगी।क्या एलआईसी एक बैंक का मालिकाना हक रखने की महत्त्वाकांक्षा रखती है? एलआईसी की ऐसी महत्त्वाकांक्षा करीब 20 साल पहले हुआ करती थी। उन दिनों कॉरपोरेशन बैंक में 30 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी थी और अन्य बैंकों में भी हमारी अच्छी हिस्सेदारी थी। नियमों के बदलाव के बाद हमें अपनी हिस्सेदारी कम करनी पड़ी। हमने एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस के जरिये बैंक लाइसेंस का भी आवेदन दिया था लेकिन बात नहीं बन पाई। हालांकि बैंकों में पर्याप्त हिस्सेदारी की अनुमति मिलने से भी हमें बैंक के जरिये बीमा योजनाओं की बिक्री के कारोबार में मदद मिलेगी।नए कारोबार प्रीमियम में आपकी 60 फीसदी से अधिक बाजार हिस्सेदारी है, वहीं खुदरा एपीई और कुल एपीई (सालाना प्रीमियम समराशि) की बाजार हिस्सेदारी 40 फीसदी है और आप निजी खिलाड़ियों के हाथों, बाजार हिस्सेदारी खो रहे हैं। क्या निजी खिलाड़ियों से कुछ बाजार हिस्सेदारी पाना एलआईसी के लिए संभव है? मार्च 2020-2022 के बीच कोविड से संबंधित कई बाधाएं हैं लेकिन हम अब भी 2 करोड़ से अधिक पॉलिसी बेचने में सक्षम हैं। हमने चार महीने की अवधि में 61-65 फीसदी बाजार हिस्सेदारी जोड़ी है। एपीई आधार पर मैं कुछ बाजार हिस्सेदारी पाने में सक्षम रहा हूं। एलआईसी बड़ा संस्थान है और हम हर मुश्किल स्थिति से मजबूत बनकर उभरे हैं।ब्रोकिंग कंपनियां आपकी क्षमता पर सवाल कर रही हैं क्योंकि आपने बीमा योजनाओं की बिक्री करने के लिए बड़े बैंकों के साथ करार नहीं किया। आप देश के प्रत्येक बड़े बैंक में निवेशक हैं। क्या भविष्य में उन्हें बीमा योजनाओं की बिक्री का साझेदार बनाने की योजना है? बाजार और ग्राहकों की जरूरतों को समझते हुए हम साझेदारी (पार्टिसिपेटरी प्रोडक्ट) योजनाओं की बिक्री कर रहे थे। इस सेगमेंट में ग्राहकों को अधिक सहूलियत थी क्योंकि उन्होंने अधिक बोनस पाने की कोशिश की। एक वक्त में गैर-साझेदारी (नॉन-पार) योजनाओं के कारोबार में हमारी स्थिति मजबूत थी। हमने सबसे पहले यूलिप योजनाओं की पेशकश की थी। जहां तक बैंक के जरिये बीमा योजनाओं की बिक्री की बात है तो उसके लिए 62,000 आउटलेट हैं। हमने इस चैनल पर जोर दिया है। हम हाल में बैंकरों से मिले हैं। बैंक के माध्यम से योजनाओं की बिक्री के लिए हमने ‘बीमा रत्न’ जैसी योजना की विशेष पेशकश की है।सितंबर 2021 में आपका मार्जिन करीब 9 फीसदी जबकि निजी क्षेत्र की कंपनियों का मार्जिन 25 फीसदी तक था। मार्जिन को लेकर आपका लक्ष्य क्या है? निजी बीमा कंपनियां जो सूचीबद्ध हुई थीं, उनके नए कारोबारी मार्जिन (वीएनबी) की वैल्यू समान स्तर पर है और इसने इसका दायरा 20 फीसदी से अधिक बढ़ाने में समय लिया है। हम कुछ सालों में 12-15 फीसदी के मार्जिन स्तर पर पहुंच जाएंगे और इसके बाद पांच सालों में 20 फीसदी मार्जिन हासिल करने में सक्षम होंगे।लोग अच्छे लाभांश की उम्मीद कर रहे थे, वहीं पॉलिसीधारकों को शेयर कीमतें घटने से पूंजी का नुकसान हुआ। क्या इसको कुछ सहज करने की कोई योजना है? लाभांश भुगतान की योजना एक व्यापक फैसला था। लेकिन आगे हम अपने शेयरधारकों की महत्त्वाकांक्षा को ध्यान में रखेंगे। यह प्रदर्शन, अधिशेष और मूल्य पर निर्भर करता है। हमने पहले भी हितधारकों के लिए काम किया और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।
