अगले सत्र में भी निर्यात सीमा! | रॉयटर्स / मुंबई June 18, 2022 | | | | |
इस साल अक्टूबर में शुरू होने जा रहे चीनी सत्र में भारत लगातार दूसरे चीनी सत्र में चीनी के निर्यात की मात्रा तय कर सकता है। इसका मकसद घरेलू आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में बनाए रखना और स्थानीय कीमतों पर नियंत्रण रखना है। शुक्रवार को उद्योग और सरकार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
भारत विश्व का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है। उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर-सितंबर 2022-23 सत्र में निर्यात की सीमा 60 से 70 लाख टन की जा सकती है। उद्योग और सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यह मौजूदा सत्र में किए गए निर्यात की तुलना में करीब एक तिहाई कम होगा। उन्होंने नाम का खुलासा न करने को कहा, क्योंकि वे इसके बारे में जानकारी देने को अधिकृत नहीं हैं। सरकार के प्रवक्ता ने इस मसले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है।
भारत के चीनी निर्यात में कमी करने से सफेद चीनी की कीमत की बेंचमार्क दरों में आगे और बढ़ोतरी होगी क्योंकि भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक भी है। व्यापारियों ने कहा कि चीनी का कारोबार इस समय करीब साढ़े 5 साल के उच्च स्तर पर हो रहा है।
कच्ची चीनी का जुलाई बेंचमार्क 1.88 प्रतिशत बढ़कर 18.93 सेंट प्रति एलबी पहुंच गया और अगस्त में सफेद चीनी 1.77 प्रतिशत उछलकर 568.70 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई। बहरहाल प्रमुख चीनी उत्पादकों जैसे श्री रेणुका शुगर्स, बजाज हिंदुस्तान शुगर और ईआईडी पैरी (इंडिया) लिमिटेड के शेयरों की कीमत में आज 2 से 6 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है।
इस साल विश्व के सबसे बड़े निर्यातक ब्राजील में चीनी की पैदावार में कमी आई है, जो प्रमुख उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक है। साथ ही कच्चे तेल की कीमत भी कई साल के उच्च स्तर पर है। इन वजहों से चीनी के दाम चढ़े हैं। कच्चे तेल की कीमत ज्यादा होने की वजह से चीनी मिलों ने अपना ज्यादा एथनॉल पेट्रोल में मिलाने के लिए भेज दिया है।
ब्राजील में इस साल चीनी उत्पादन बेहतर रहने की संभावना है। हालांकि भारत से निर्यात सीमित किए जाने से व्यापारियों को इस साल चीनी के अंतरराष्ट्रीय दाम में कोई कमी आने की संभावना नहीं है।
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