मेलों और तीर्थयात्राओं से लाभ उठाने में जुटे ब्रांड | |
अक्षरा श्रीवास्तव / नई दिल्ली 06 18, 2022 | | | | |
पुणे के देहु में 20 जून से पंढरपुर यात्रा शुरू हो रही है। करीब 240 किलोमीटर लंबी इस यात्रा के दौरान कई ब्रांड और कंपनियों का तांता लगने वाला है। यह यात्रा महाराष्ट्र के पंढरपुर में विट्ठल जी के मंदिर में जाकर समाप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि यह यात्रा पिछले 800 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है। इस वर्ष यात्रा में 30 से 40 लाख तीर्थयात्री शामिल हो सकते हैं। जाहिर है, इतनी बड़ी संख्या में लोगों का आना ब्रांडों एवं कंपनियों को भी अप्रत्यक्ष रूप से कारोबार और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का अवसर प्रदान करता है। फेना, डाबर जैसे ब्रांडों सहित बीमा कंपनियां जैसे एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनियां जैसे मुथूट फाइनैंस आदि सहित कई दूसरी कंपनियां इस अवसर को भुनाने में पीछे नहीं रहना चाहती हैं।
फेना प्राइवेट लिमिटेड के सहायक विपणन प्रबंधक हेमन श्रीवास्तव कहते हैं, 'हाट, मेले और यात्रा आदि ग्राहकों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने का बेहतरीन अवसर मुहैया कराते हैं। यह बात खासकर तब और सटीक हो जाती है जब आप सस्ती एवं उपयोगी वस्तुएं लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं।'
पुणे की एजेंसी वृत्ति सॉल्यूशंस के मुख्य विपणन अधिकारी राजेश राधाकृष्णन मानते हैं कि फेना जैसे ब्रांडों के लिए पंढरपुर यात्रा उत्पाद बेचने का एक अनोखा अवसर प्रदान करती है। राधाकृष्णन ने कहा, ' इस लंबी यात्रा के दौरान लोग बीच में थोड़ा आराम करेंगे और मौका मिलने पर अपने कपड़े आदि भी साफ करेंगे। यह डिटर्जेंट बनाने वाली कंपनियों को कारोबार का एक बड़ा मौका है। फेना यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए कपड़े धोने के स्टेशन भी बनाएगी।' श्रीवास्तव कहते हैं, 'इस मेले में आने वाले लोगों की नए उत्पादों, योजनाओं और छूट पर भी नजरें होंगी। हम अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए विशेष छूट की पेशकश करते हैं। इससे हमें अधिक से अधिक उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में मदद मिलती है।'
कंपनियां अपना प्रचार करने के लिए केवल बैनर, पोस्टर आदि लगाने तक ही अपनी रणनीति सीमित नहीं रखना चाहती हैं। कंपनियां छोटे शहरों एवं गांवों में अपने संभावित ग्राहकों तक पहुंचने के लिए विशेष तरीके आजमाने जा रही हैं। कोविड महामारी के बाद मेले, यात्रा और धार्मिक आयोजन बढ़-चढ़ कर हो रहे हैं इसलिए ये कंपनियों के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का खास जरिया बन रहे हैं।
एफएमसीजी क्षेत्र की एक अग्रणी कंपनी मालिश केंद्र स्थापित करने जा रही है। एक दूसरी कंपनी ने आयुर्वेद स्वास्थ्य शिविर स्थापित करने की योजना तैयार की है। इन कंपनियों का मकसद साफ है। वे लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने के साथ ही उनके दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ना चाहती हैं। इस वर्ष पंढरपुर यात्रा के अलावा अन्य दूसरे कार्यक्रम भी आयोजित होने जा रहे हैं और वर्षांत तक कम से कम 45 और ऐसे कार्यक्रम आयोजित होंगे।
राधाकृष्णन कहते हैं, ' हमारा उत्साह चरम पर है और इस वर्ष ऐसे आयोजनों में अधिक से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। ऐसे आयोजन करीब दो वर्ष बाद आयोजित हो रहे हैं इसलिए लोग इनमें पूरे जोश से भाग लेंगे।'
राधाकृष्णन ने कहा कि उनकी एजेंसी ने सरकारी इकाइयों, तीर्थाटन कराने वाली कंपनियों और दूसरे औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ मिलकर खास कार्यक्रम चलाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, 'ऐसे अवसर ब्रांडों के लिए अपने उत्पाद लोगों तक कम प्रयासों के साथ पहुंचने का नायाब जरिया हैं।'
डाबर जैसी कंपनियों के लिए ऐसे आयोजन खास रहे हैं। कंपनी ऐसे मौकों पर अपने उत्पादों की नुमाइश करती रही है। डाबर में कार्यकारी निदेशक (बिक्री) आदर्श शर्मा कहते हैं, 'हमें लगता है कि लोगों के साथ सीधे जुड़ने से हमें उपभोक्ताओं के साथ संबंध और मजबूत बनाने में मिलती है। हम पंढरपुर तक यात्रा करने वाले लोगों के लिए आयुर्वेदिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि इन शिविरों में लोगों को स्वास्थ्य की जांच, पैर एवं पीठ की मालिश जैसी सुविधाओं की पेशकश की जाती है।' इस वर्ष मार्च में डाबर ने मेरठ में नौचंदी मेले में भी पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। वैष्णो देवी यात्रा के मार्ग में भी कंपनी पैर मालिश करने वाले शिविर चलाती है। डाबर को इसके जरिये अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद भी मिली है। कंपनी ने कहा कि 2021 में कुंभ मेला के दौरान उसने डाबर रेड दंत स्नान कार्यक्रम चलाया था। शर्मा कहते हैं, 'मेला परिसर में हमने खास तौर पर डाबर रेड पेस्ट दंत स्नान क्षेत्र तैयार किया था। ये क्षेत्र मुंह की सफाई पर खास ध्यान देने का संदेश लोगों तक पहुंचा रहे थे। इसमें टूथपेस्ट एक खास उपकरण से निकलता था और लोग इसका इस्तेमाल भी कर रहे थे।'
इमामी के प्रवक्ता ने भी कहा कि ऐसे आयोजन उन ग्राहकों तक कंपनियों को पहुंचने का अवसर देते हैं जिन्होंने अब तक उनके उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया है। प्रवक्ता ने कहा, 'ऐसे अवसरों पर जब लोग कंपनियों के उत्पाद खरीदते हैं तो भावनात्मक रूप से उनसे जुड़ जाते हैं। हमारा मानना है कि जब उपभोक्ताओं के मन में हमारे उत्पादों की खास जगह बनाती है तो बिक्री भी स्वतः बढ जाती है। उसे वापस लौटकर स्वयं इन उत्पादों को खरीदते हैं और दूसरे लोगों को भी खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।'
इमामी ने 2021 के कुंभ में अपने नवरत्न आयुर्वेदिक तेल की बिक्री करने के लिए एक खास अभियान चलाया था। कुंभ मेला भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में एक गिना जाता है मगर अधिक भीड़ होने के कारण लोग अपने परिजनों से बिछड़ भी जाते हैं। इमामी ने बिछड़े लोगों को वापस उनके परिजनों से मिलने के लिए एक खास अभियान शुरू किया था। प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने कुंभ मेला सुकून अभियान चलाया था। कंपनी ने खोए लोगों को उनके परिजनों से मिलने के लिए आठ केंद्र बनाए थे और उनकी मदद से कम से कम 14,210 लोग अपने परिवारों से दोबारा जुड़ पाए। कंपनी ने लोगों की थकान कम करने के लिए नवरत्न चंपी केंद्रों का भी आयोजन किया था। एफएमसीजी कंपनियों के अलावा लोगों के सीधे काम नहीं आने वालो उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए विशेष तरीके ईजाद कर रही हैं।
जेके सुपर सीमेंट ऐसी ही एक कंपनी है। कंपनी सुरक्षा का आधार बनाकर लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है। जेके सीमेंट में स्कूल प्रमुख-दक्षिण- केदार एम शहागडकर कहते हैं, लोगों एवं समाज की सेवा करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेते समय हम लोगों को स्वच्छ जल, परिधान बदलने के लिए कमरे, सुरक्षा संबंधी उद्घोषणा और सार्वजनिक स्वच्छता जैसी सेवाओं की पेशकश करते हैं।
शहागडकर कहते हैं, 'ऐसे प्रयास उपभोक्ताओं के मन पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं। इन प्रयासों से आपको ब्रांड को एक खास पहचान मिल जाती है जिससे लोग नहीं भूल पाते हैं। ब्रांड इन प्रयासों से समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह भी कर लेते हैं।' शहागडकर कहते हैं, 'हम अक्सर एक सामाजिक उद्देश्य एवं समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने के लिए ऐसे कार्य करते हैं। हमारा मकसद केवल अपने उत्पादों की बिक्री ही नहीं होता है। कंपनियां अपने इन प्रयासों पर कितनी रकम खर्च करती हैं इनका ब्योरा तो वे नहीं देती हैं मगर राधाक2श्णन के अनुसार 3 से 30 लाख रपये तो आराम से खर्च हो जाते हैं।'
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