यूबीएस ने जताए मंदी के पांच अनुमान | समी मोडक / मुंबई June 17, 2022 | | | | |
भारतीय बाजार में बिकवाली में नरमी का संकेत नहीं दिख रहा है, क्योंकि गुरुवार को निफ्टी अमेरिकी फेडरल द्वारा 75 आधार अंक तक की दर वृद्धि किए जाने के बाद करीब एक साल में गिरकर अपने निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी फेडरल द्वारा वर्ष 1994 के बाद से यह सबसे बड़ी दर वृद्धि है। यूबीएस ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें भारतीय बाजार के लिए कई नकारात्मक संकेतों का जिक्र किया गया है। यहां इनमें से पांच पर निवेशकों को सतर्कता के साथ ध्यान देना चाहिए:
डॉलर के मुकाबले 80 पर रुपया
यूबीएस इमर्जिंग मार्केट (ईएम) विशेषज्ञों का मानना है कि अगले तीन महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 पर पहुंच जाएगा। उनका कहना है कि रुपये पर हमारा मंदी का नजरिया जिन बिंदुओं को दर्शाता है, उनमें लड़खड़ाता चालू खाता घाटा, निफ्टी के महंगे मूल्यांकन का इक्विटी निकासी पर प्रभाव, और शेष उभरते बाजारों के मुकाबले डॉलर-रुपया डेरिवेटिव में कम जोखिम प्रीमियम शामिल हैं।
10 वर्षीय आईजीबी 8 प्रतिशत पर
ब्रोकरेज को 10 वर्षीय भारत सरकार के बॉन्ड (आईजीबी) के वर्ष की समाप्ति से पहले 8 प्रतिशत के निशान पर पहुंचने की संभावना है। हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत का समेकित वित्तीय घाटा जीडीपी के 10.2 प्रतिशत पर ऊंचा बना रहेगा। इससे सरकारी उधारी ऊंची बनी रहेगी और बॉन्ड प्रतिफल पर दबाव रहेगा।
रीपो दर 6.25 प्रतिशत पर
इस महीने के शुरू में, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए रीपो दर 50 आधार अंक तक बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत की। यूबीएस का मानना है कि आरबीआई को अभी और कदम उठाने होंगे। सामान्य अपेक्षा थी कि एमपीसी को फेडरल की सख्ती और ऊंची वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत दरें बढ़ाने की जरूरत होगी। घटनाक्रम में ताजा बदलाव के साथ अब हमारा मानना है कि एमपीसी वित्त वर्ष 2023 के अंत तक रीपो दर बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करेगी। यूबीएस ने पिछले महीने के दौरान 50 से ज्यादा घरेलू एवं विदेशी निवेशकों से मुलाकात की।
एफपीआई प्रवाह में जल्द बदलाव नहीं
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा बिकवाली इस साल 2 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है। यह किसी एक वर्ष के संदर्भ में बड़ी बिकवाली और यदि आप एफपीआई की ऐसेट अंडर कस्टडी (एयूसी) के संदर्भ में देखें तो 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद दूसरी सर्वाधिक बिकवाली है। हालांकि एफपीआई बिकवाली भविष्य में कमजोर पड़ सकती है। हम जल्द बड़ा बदलाव दिखने की संभावना नहीं है। हम ईएम के मुकाबले भारत पर अंडरवेट हैं और निफ्टी के लिए इस वर्ष के अंत तक हमारा लक्ष्य 16,000 का है।
घरेलू प्रवाह में नरमी
भारतीय बाजार घरेलू निवेशकों के प्रवाह की वजह से एफपीआई की बड़ी बिकवाली के दबाव को दूर करने में सक्षम रहे हैं। हालांकि निर्धारित आय दरों में वृद्धि के साथ साथ इक्विटी में उतार-चढ़ाव बढ़ने से घरेलू निवेशक अपनी पसंदद घरेलू प्रवाह पर केंद्रित कर सकते हैं। एफपीआई बिकवाली के प्रभाव की भरपाई रिटेल प्रवाह (डायरेक्ट+म्युचुअल फंडों) के जरिये अधिक हुई है। हालांकि हमें अर्थव्यवस्था फिर से खुलने के साथ बाजार में घरेलू प्रवाह में नरमी आने का अनुमान है।
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