बाजार को दर बढ़ोतरी का डर | सुंदर सेतुरामन / मुंबई June 13, 2022 | | | | |
केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में तेज बढ़ोतरी के डर और आर्थिक वृद्धि पर पड़ने वाले संभावित असर से भारत सहित दुनिया भर के बाजारों में आज जबरदस्त बिकवाली देखी गई। निवेशकों ने शेयरों से अपना निवेश निकालने पर जोर दिया क्योंकि उन्हें डर है कि मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में वृद्धि किए जाने से आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है। अमेरिका में मंदी की आशंका और चीन में कोरोना संबंधित लॉकडाउन ने भी निवेशकों का मनोबल कमजोर किया है।
बेंचमार्क सेंसेक्स में 7 मार्च के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई और सूचकांक 1,456 अंक या 2.7 फीसदी को गोता लगाकर 52,846 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 427 अंक या 2.6 फीसदी की गिरावट के साथ 15,774 पर बंद हुआ।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक 14 और 15 जून को होगी जिसमें ब्याज दर में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। हालांकि मुद्रास्फीति के ऊंचे आंकड़ों से इस बात की अटकलें लगाई जा रही है कि निकट भविष्य में फेडरल रिजर्व दर में 75 आधार अंक की बढ़ोतरी के बारे में भी सोच सकता है।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘अमेरिका में कई लोग दरों में 75 आधार अंक से लेकर 100 आधार अंक तक की वृद्धि की बात कर रहे हैं। बाजार को चिंता है कि फेडरल रिजर्व का दर पर क्या रुख होगा।’
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति का दबाव कम होने या देश में कंपनियों के बेहतर नतीजे आने तक देसी शेयर बाजार के मंदी के दौर से निकलने की संभावना कम ही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो अमेरिका की परिस्थिति के हिसाब से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। हालांकि अच्छी बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है लेकिन अमेरिकी बाजार की तस्वीर अब भी धुंधली है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में जल्द ही थोड़ी तेजी आ सकती है क्योंकि देश में खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी का रुख दिखा है। मई में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 7.04 फीसदी रही, जो अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई थी।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘लगता है कि बाजार दरों में 75 आधार अंक की बढ़ोतरी पहले ही स्वीकार कर चुका है। अगर बाजार को हैरत में डालने वाली कोई नकारात्मक खबर नहीं आई तो इस गिरावट पर लगाम लग सकती है। अमेरिकी बाजार में आज ज्यादा गिरावट नहीं आई तो कल भारतीय बाजार का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है।’ अमेरिका में पिछले हफ्ते जारी मुद्रास्फीति के ऊंचे आंकड़े ने निराश किया और फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति को और सख्त बनाए जाने की आशंका बढ़ा दी है। 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 3.2 फीसदी पर पहुंच गया है, जो नवंबर 2018 के बाद सबसे
अधिक है। अमेरिका में खुदरा मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 8.6 फीसदी रही, जो दिसंबर 1981 के बाद सबसे अधिक है। इसके साथ ही चीन में कोरोना संक्रमण ने भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है।
|