भारत का प्रति व्यक्ति बिजली उत्पादन 2019 से आगे निकला | सचिन मामबटा और शाइन जैकब / मुंबई/चेन्नइ June 13, 2022 | | | | |
देश का प्रति व्यक्ति बिजली उत्पादन न केवल वर्ष 2019 के स्तर की तुलना में बढ़ गया है, बल्कि कई अन्य निम्न मध्य आय वाले देशों के मुकाबले भी बढ़ गया है। विश्व बैंक किसी निम्न मध्य-आय वाली अर्थव्यवस्था को इस रूप में परिभाषित करता है, जहां प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) या किसी वर्ष में प्रति व्यक्ति अर्जित राशि वर्ष 2020 में 1,046 डॉलर और 4,095 डॉलर के बीच रही थी। भारत अड़ोस-पड़ोस के देशों के साथ इस श्रेणी में आता है, जिनमें श्रीलंका, पाकिस्तान और मंगोलिया शामिल हैं। ये सभी ऊर्जा की अधिक कीमतों के बीच भारत की तरह ही बिजली किल्लत का सामना कर रहे हैं।
देश का प्रति व्यक्ति बिजली उत्पादन वर्ष 2019 के स्तर की तुलना में 2021 में 3.8 प्रतिशत अधिक है। यह निम्न-मध्य आय वाले देशों के लिहाज से औसतन केवल 0.2 प्रतिशत अधिक है।
देश का प्रति व्यक्ति बिजली उत्पादन वर्ष 2019 के 1,173 किलोवाट प्रति घंटा (केडब्ल्यूएच) से घटकर वर्ष 2020 में 1,131 किलोवाट प्रति घंटा रह गया था। इसके बाद यह वर्ष 2021 में बढ़कर 1,218 किलोवाट प्रति घंटा हो गया।
प्रति व्यक्ति बिजली उत्पादन में परिवर्तन अन्य निम्न मध्य आय वाले देशों में काफी भिन्न रहा। जहां एक ओर कुछ देशों ने वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की, वहीं दूसरी ओर कई अन्य देशों में दोहरे अंकों का इजाफा देखा गया।
इस विश्लेषण में 12 देशों के औसत आंकड़ों को परखा गया और भारत के साथ इसकी तुलना की गई। जिन 12 देशों के लिए आंकड़े उपलब्ध थे, वे हैं बांग्लादेश, बोलीविया, अल सल्वाडोर, केन्या, मंगोलिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, सेनेगल, ताजिकिस्तान, ट्यूनीशिया, यूक्रेन और वियतनाम। इसने निगरानी करने वाले - अवर वर्ल्ड इन डेटा के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया, जिसने बीपी स्टैटिस्टिकल रिव्यू ऑफ वर्ल्ड एनर्जी, एम्बर ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू (2022) और एम्बर यूरोपियन इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू (2022) के आंकड़ों की तुलना की। पाकिस्तान में ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों को बिजली किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन कम से कम 3.5 घंटे की बिजली कटौती हो रही है। मंगोलिया ने मार्च से अपने औद्योगिक क्षेत्र के लिए उपयोग करने का प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि श्रीलंका में बिजली की अत्यधिक कमी देखी जा रही है।
आईडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक मोहित कुमार ने कहा ‘हमें अपनी आवश्यकताओं के आधार पर समय-समय पर ऊर्जा समाधान तलाशने की जरूरत है। हम कई अन्य देशों के मुकाबले तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं। हमारा बड़ा देश है और क्षमता के लिहाज से हम दुनिया में तीसरे या चौथे स्थान पर होंगे। ये आंकड़े इस बात पर निर्भर करेंगे कि अर्थव्यवस्था और विनिर्माण क्षेत्र कितनी तेजी से बढ़ेगा।’ विशेषज्ञ इस बात का संकेत दे रहे हैं कि भारत में यह क्षेत्र छह से सात प्रतिशत की उम्मीद के मुकाबले केवल चार से पांच प्रतिशत बढ़ा है।
उद्योग विश्लेषक कोयला आधारित अतिरिक्त क्षमता की कमी को मौजूदा बिजली किल्लत का एक प्रमुख कारण बता रहे हैं। कुमार ने कहा कि अगर उत्पादन पर्याप्त नहीं होता है, तो कमी होगी। गाहे-बगाहे कमी हो रही है, क्योंकि हम मजबूत क्षमता और कोयला आधारित क्षमता नहीं जोड़ रहे हैं। हम अक्षय ऊर्जा तलाश रहे हैं, जो व्यावहारिक या हर समय पर्याप्त रूप से उपलब्ध होती है।
भारत ने एक दशक से अन्य निम्न मध्यम आय वाले देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति बिजली उत्पादन में लगातार इजाफा दर्ज किया है।
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