हिस्सेदारी घटाने के नियमों में ढील नहीं | निकुंज ओहरी / नई दिल्ली June 13, 2022 | | | | |
आईडीबीआई बैंक के नए खरीदार को अधिग्रहण के बाद लंबी अवधि में प्रवर्तक हिस्सेदारी घटाने के नियमों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से खास छूट मिलने के आसार नहीं हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त बिचौलियों ने आरबीआई के उन दिशानिर्देशों में छूट की मांग की थी, जिनके तहत प्रवर्तक हिस्सेदारी को 15 साल में घटाकर 26 फीसदी करना होता है। आरबीआई ने सरकार और उसके सलाहकारों के साथ चर्चा में कहा था कि उसके मौजूदा दिशानिर्देश ही लागू होंगे। आरबीआई के प्रवक्ता को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। अधिकारी ने कहा कि प्रवर्तकों को लंबी अवधि में अपनी हिस्सेदारी घटानी होती है, इसलिए केंद्र ने परिचालन में निरंतरता बनाए रखने के लिए नए खरीदार को कुछ रियायत देने की मांग की थी। निवेशकों के लिए रोडशो पूरे होने के तुरंत बाद आरबीआई से अगले चरण की बातचीत होने के आसार हैं। अधिकारी ने कहा कि निवशकों के आग्रहों और उनकी प्रतिक्रिया पर आरबीआई के साथ फिर चर्चा की जाएगी।
केंद्र आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश के लिए जुलाई के अंत तक अभिरुचि पत्र मंगाने का विचार कर रहा है, इसलिए रिजर्व बैंक के साथ चर्चा जल्द पूरी होगी। केंद्र ने हाल ही में अमेरिका में रोडशो समाप्त किए हैं। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी संभावित निवेशकों से मिल रहे हैं ताकि इस बिक्री के लिए उनकी प्रतिक्रिया हासिल की जा सके।
उनकी प्रतिक्रिया के साथ केंद्र फिर आरबीआई से मिलेगा ताकि बेहतर से बेहतर तरीके से सौदे का खाका तैयार किया जा सके, जो नियामक और निवेशकों दोनों को स्वीकार्य हो। अधिकारी ने कहा कि अब से पहले कभी किसी बैंक का रणनीतिक विनिवेश नहीं किया गया है, इसलिए व्यापक चर्चा होने के आसार हैं। यह सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंकों के निजीकरण के लिए एक तरह से कसौटी होगा।
बैंकिंग नियामक के साथ चर्चा में कंपनियों को आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश में भागीदारी की मंजूरी देने का मुद्दा भी शामिल किया गया है। हालांकि आरबीआई ने जवाब दिया है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए उसके मौजूदा नियम बरकरार रहेंगे। आरबीआई ने नवंबर 2021 में एक आंतरिक कार्यदल की कई सिफारिशें स्वीकार करते हुए कहा था कि वह समूह की इन सिफारिशों की अब भी पड़ताल कर रहा है कि औद्योगिक घरानों को बैंकों के परिचालन की मंजूरी दी जाए या नहीं।
इसके अलावा प्रवर्तकों के लिए 26 फीसदी मताधिकार की मौजूदा सीमा हटाने के आग्रह को आरबीआई ने खारिज कर दिया है, जिस पर केंद्र ने भी सहमति जताई है। इसका मतलब है कि नए प्रवर्तक को अधिकतम 26 फीसदी मताधिकार मिलेगा, चाहे आईडीबीआई बैंक में वह 50 फीसदी या उससे अधिक हिस्सेदारी ही क्यों न खरीदे। हालांकि केंद्र का रुख एकदम साफ है कि प्रबंधन नियंत्रण नए खरीदार को सौंपा जाएगा और सरकार तथा एलआईसी शेष हिस्सेदारी अपने पास बने रहने के बावजूद प्रबंधन में दखल नहीं देंगी। नए खरीदार को नया प्रबंधन, अहम कार्मिक नियुक्त करने और इस ऋणदाता में बेहतर प्रबंधन प्रक्रियाओं को लागू करने के अधिकार मिलेंगे। इस समय आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी और एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 फीसदी है।
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