दरों में वृद्धि से प्रभावित होगा मूल्यांकन | देवांशु दत्ता / मुंबई June 11, 2022 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई के रुझान को लंबे समय तक नजरअंदाज करने के बाद अब उस पर लगाम लगाने के उपायों पर गौर करने लगा है। बुधवार को रीपो दर में की गई 50 आधार अंकों की वृद्धि मई में 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी के अनुरूप है। बाजार को इसके अलावा नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में भी बढ़ोतरी किए जाने की अपेक्षा थी। इसलिए मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में थोड़ी कमी आई है। रुपया 77.70 रुपये प्रति डॉलर पर बरकरार रहा।
मौद्रिक नीति के साथ घोषित अन्य उपायों के तहत ग्रामीण सहकारी बैंकों को आवास ऋण में पहले के मुकाबले दोगुना निवेश करने और वाणिज्यिक बिल्डरों को उधारी की पेशकश करने की भी अनुमति दी गई। इससे खास तौर पर सस्ते मकान वाले रिहायशी बाजार किस प्रकार प्रभावित होगा, यह देखना अभी बाकी है।
मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 6.7 फीसदी मुद्रास्फीति (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर) रहने का अनुमान जाहिर किया है। उनका कहना है कि पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 7.5 फीसदी रहेगी जबकि दूसरी तिमाही में 7.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी मुद्रास्फीति रहेगी। वित्त वर्ष 2023 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान को 7.2 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया है। समिति का कहना है कि पहली तिमाही में यह वृद्धि 16.2 फीसदी (कम आधार के प्रभाव में), दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.1 फीसदी और चौथी तिमाही में 4 फीसदी रहेगी।
प्रणाली में अतिरिक्त नकदी उपलब्ध है हालांकि उसमें कमी हो रही है।
रीपो दर एवं अन्य संबंधित नीतिगत दरें अभी भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से काफी नीचे बरकरार हैं। इससे साफ है कि वास्तविक उधारी अभी सस्ती है और मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों की खरीदारी 7.494 फीसदी पर की गई। हालांकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 15 फीसदी से अधिक थी जिससे धारणा बनी थी कि उधारी अभी सस्ती है। यदि आरबीआई मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है तो वह ब्याज दरों को निचले वास्तविक स्तर पर नहीं छोड़ सकता। ऐसी संभावना कहीं अधिक दिख रही है कि दरों में फिर तेजी आएगी और हो सकता है कि वह कुछ समय तक बरकरार रहे।
|