फिच ने भारत की रेटिंग स्थिर की | अरूप रायचौधरी और अभिजित लेले / नई दिल्ली/मुंबई June 11, 2022 | | | | |
वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत का लंबी अवधि का सॉवरिन ऋण परिदृश्य आज सुधारकर ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ कर दिया। इसकी वजह बताते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने महामारी के बाद तगड़ी वापसी की है और यह मौजूदा भू-राजनीतिक उठापटक में अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले कम प्रभावित होगी।
अब तीनों बड़ी एजेंसियों- फिच, मूडीज और एसऐंडपी की नजर में भारत का परिदृश्य स्थिर हो गया है। मगर फिच ने वित्त वर्ष 2023 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पूर्वानुमान 8.5 फीसदी से घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया। एजेंसी ने इसके लिए वैश्विक जिंसों की ऊंची कीमतों के कारण महंगाई बढ़ने का हवाला दिया है।
फिच ने कहा, ‘वैश्विक जिंस कीमतों के झटके से अल्प अवधि की चुनौतियों के बावजूद भारत के तेज आर्थिक सुधार और वित्तीय क्षेत्र की कमजोरी दूर होने से परिदृश्य में बदलाव किया गया है। हमारा अनुमान है कि मौजूदा रेटिंग के अनुरूप ऋण मानदंडों के समर्थन के लिए अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत की वृद्धिशानदार रहेगी।’
इसने कहा, ‘ वित्त वर्ष 2023 में 7.8 फीसदी की शानदार जीडीपी वृद्धि होगी, जबकि बीबीबी रेटिंग वाले अन्य देशों में वृद्धि महज 3.4 फीसदी रहेगी। हालांकि इसे मार्च के 8.5 फीसदी के अनुमान के मुकाबले घटाया गया है क्योंकि वैश्विक जिंसों की कीमतों के झटके से महंगाई बढ़ने के कारण असर कुछ सकारात्मक वृद्धि के रुझान को नुकसान पहुंचा रहा है।’एजेंसी ने वित्त वर्ष 2024 से 2027 के बीच 7 फीसदी औसत वृद्धि दर का पूर्वानुमान जताया है। इसने कहा कि इससे सरकार के बुनियादी ढांचे पर मोटे निवेश, सुधार के एजेंडे और वित्तीय क्षेत्र में दबाव घटने से मदद मिलेगी।
एजेंसी ने कहा कि इसके बावजूद इस पूर्वानुमान के लिए चुनौतियां हैं, जिनमें आर्थिक सुधार में असमानता और बुनियादी ढांचे पर खर्च एवं सुधारों को लागू करने में जोखिम शामिल हैं।
सरकार ने परिदृश्य में सुधार का स्वागत किया है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘यह सरकार के उन सुधारों पर मुहर है, जिन्होंने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, इसे बाहरी बदलावों के सुरक्षित रखा है और निरंतर वृद्धि का रोडमैप तैयार किया है।’पहले खबर दी गई थी कि हाल में रेटिंग एजेंसियों के साथ बैठकों में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की अगुआई में अधिकारियों ने रेटिंग एवं परिदृश्य में सुधार पर जोर दिया था और महामारी के बाद भारत के तगड़े घरेलू आर्थिक सुधार तथा महंगाई के दबाव को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए उपायों को सामने रखा था।
हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था की कुछ कमजोरियां थीं। सूत्रों के मुताबिक रेटिंग एजेंसियों को मुहैया कराए गए आकलन वास्तविक हैं और उनमें बेतुकी उम्मीद नहीं लगाई गई है। अधिकारियों ने स्वीकार किया था कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण वैश्विक महंगाई के दबाव से पारिवारिक बचत और कॉरपोरेट मार्जिन पर चोट पड़ी है। इससे वृद्धि पर भी असर पड़ेगा।
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