आरबीआई द्वारा नए कार्ड डेटा स्टोरेज मानकों को शुरू किए जाने में एक महीने से कम का समय रह गया है और इस बार इसकी तैयारी पहले के मुकाबले बेहतर तरीके से चल रही है। हालांकि नई व्यवस्था पर अमल पूरी तरह आसान नहीं हो सकता है, क्योंकि जटिल क्रियान्वयन प्रक्रिया को देखते हुए कुछ समस्याएं शुरुआती दिनों में सामने आएंगी। 1 जुलाई से व्यवसायी, पेमेंट एग्रीगेटर और खरीदार बैंक ग्राहकों के कार्ड विवरण लंबे समय तक जमा नहीं रख सकेंगे। नए दिशा-निर्देशों के तहत, सिर्फ कार्ड जारी करने वाले और कार्ड नेटवर्क ही इन्हें स्टोर करने में सक्षम होंगे। ग्राहकों के कार्ड विवरण जमा रखने वाले व्यवसायी और अन्य इकाइयों को डेटा हटाने और टोकन के लिए आवेदन करने होंगे। टोकन व्यवस्था वास्तविक या क्लियर कार्ड नंबर का प्रतिस्थापन है जिसे ‘टोकन’ नाम से वैकल्पिक कोर्ड से जोड़ा गया है। टोकन के जरिये ट्रांजेक्शन को सुरक्षित समझा जाता है, क्योंकि वास्तविक कार्ड विवरण ऐसे सौदों के दौरान व्यवसायी के साथ साझा नहीं होते हैं। इससे कार्ड की जानकारी लीक होने की आशंका घटाने में मदद मिलेगी। नीतिगत बैठक के बाद मीडिया के साथ बातचीत में टी रबि शंकर ने कहा, ‘तीन सप्ताह बाद शुरू होने वाली इस प्रक्रिया की तैयारी संतोषजनक है। पिछले कुछ महीनों के दौरान हमारी टीमों ने यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार सभी हितधारकों के साथ बातचीत की है कि टोकन व्यवस्था सुगम हो और इसकी तैयारी अच्छी तरह से की जाए।’ रबि शंकर ने कहा, ‘करीब 16 करोड़ टोकन तैयार किए गए हैं। जैसे ही हम समय-सीमा के नजदीक पहुंचेंगे, यह संख्या और बढ़ेगी। यह जरूरी नहीं है कि हर किसी को उससे पहले टोकन लेना होगा। कुछ कॉलेटरल संबंधित समस्याएं हैं जिन पर हमें ध्यान देना है।’ एचडीएफसी बैंक में कंट्री हेड (भुगतान व्यवसाय, उपभोक्ता वित्त, प्रौद्योगिकी और डिजिटल बैंकिंग) पराग राव ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा, ‘बैंक के नजरिये से, हमने मुख्य सर्कुलर आने के बाद इस पर एक या दो महीने में काम शुरू कर दिया।’
