क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने की इजाजत | सुब्रत पांडा / मुंबई June 09, 2022 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट कार्ड को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से जोड़ने की इजाजत बुधवार को दे दी। इस तरह से केंद्रीय बैंक ने यूपीआई पर क्रेडिट पेमेंट सुविधा की शुरुआत की, जिसका इस्तेमाल अभी तक पे नाउ के तौर पर किया जाता है, जहां ग्राहकों के बैंक खाते से रकम डेबिट कर ली जाती है। शुरू में देसी कार्ड नेटवर्क रूपे क्रेडिट कार्ड यूपीआई के साथ ऐसा करने में सक्षम होगा और अन्य नेटवर्क मसलन वीजा व मास्टरकार्ड को अनुमति दी जाएगी।
आरबीआई के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने से यूपीआई के इस्तेमाल व पहुंच में इजाफा होगा। बैंकिंग नियामक ने कहा, शुरू में रूपे क्रेडिट कार्ड में इस तरह की सुविधा होगी। इस व्यवस्था से ग्राहकों को यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए भुगतान के कई गंतव्य व सुविधा मिलने की उम्मीद है। यह सुविधा सिस्टम के आवश्यक विकास के बाद उपलब्ध होगी।
ऐक्सिस बैंक के डिप्टी एमडी राजीव आनंद ने एक टीवी चैनल से कहा, अभी तक यूपीआई का इस्तेमाल पे नाउ के तौर पर किया जाता रहा है, जिसका मतलब यह है कि अगर आपके बैंक खाते में रकम है तो आप यूपीआई का इस्तेमाल कर सकते हैं। पहले चरण के तहत इसकी शुरुआत रूपे कार्ड के साथ होगी, जिसका विस्तार समय के साथ अन्य सेवा प्रदाताओं तक होगा। अभी यूपीआई का जुड़ाव ग्राहकों के बचत खाते के डेबिट कार्ड या चालू खाते से है। क्रेडिट कार्ड के साथ यूपीआई के जुड़ाव की इजाजत का मतलब यह है कि ग्राहकों के पास और विकल्प होंगे। हालांकि आरबीआई ने अभी तक कीमत ढांचे पर काम नहीं किया है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा, यह ग्राहकों के पास उपलब्ध विकल्प में सुधार करेगा। कीमत ढांचा कैसा होगा, यह देखना होगा क्योंकि कीमत से जुड़े काम बैंकों व इस व्यवस्था से जुड़ी इकाइयों को करने होंगे। उस समय हम व्यवस्था सामने रखेंगे और देखेंगे कि यह कैसा रहता है। उन्होंने कहा, क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने का प्राथमिक उद्देश्य ग्राहकों को भुगतान के मामले में विकल्प मुहैया कराना है।
कैशफ्री पेमेंट्स के सीईओ व सह-संस्थापक आकाश सिन्हा ने कहा, यूपीआई के जरिये क्रेडिट पेमेंट को सक्षम बनाने के लिए यह अहम कदम है, जो अभी तक ओवरड्राफ्ट अकाउंट के जुड़ाव से ही संभव था। चाहे क्रेडिट कार्ड हो, डेबिट कार्ड हो या यूपीआई, ग्राहकों को कोई शुल्क नहीं देना होता। इस पर खर्च मर्चेंट को उठाना होता है, जो मर्चेंट डिस्काउंट रेट के तौर पर होता है और सामान्य तौर पर एमडीआर के मामले में इश्यू करने वाला बैंक 60 फीसदी लेता है जबकि बाकी नेटवर्क प्रदाता मसलन वीजा, मास्टरकार्ड आदि व अधिग्रहणकर्ता के बीच साझा होता है। यूपीआई पर एमडीआर नहीं लगता जबकि डेबिट कार्ड के मामले में एमडीआर 0.9 फीसदी सीमित है लेकिन क्रेडिट कार्ड के मामले में एमडीआर पर कोई सीमा नहीं है।
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