भारतीय रिजर्व बैंक ने मई में दरें बढ़ानी शुरू कर दी हैं और आगे चलकर दरों में और भी इजाफा होगा। ऐसे में ज्यादार डेट फंडों का एक महीने का औसत प्रतिफल शून्य से नीचे जाकर ऋणात्मक हो गया है। यह देखकर कई निवेशक डेट फंडों से निकल रहे हैं। असोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के मुताबिक 1 जनवरी, 2022 से 30 अप्रैल के बीच अल्पावधि डेट फंडों से 28,483 करोड़ रुपये, मध्यम अवधि के फंडों से 3,973 करोड़ रुपये, कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों से 25,674 करोड़ रुपये और बैंकिंग तथा पीएसयू डेट फंडों से 17,285 करोड़ रुपये निकाले जा चुके हैं।आगे है उतार-चढ़ाव महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है, जिसे देखकर दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। दरों का बढ़ना डेट फंडों के प्रतिफल के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि मार्क-टु-मार्केट घाटा उनके पोर्टफोलियो में जमा राशि में सेंध लगा देता है। ट्रस्ट म्युचुअल फंड के मुख्य कार्य अधिकारी संदीप बागला कहते हैं, ‘महंगाई तेजी से बढ़ रही है, जिससे रिजर्व बैंक को दरें बढ़ानी पड़ी हैं और तरलता कम करनी पड़ी है। अगले एक साल में रीपो दर 5.5 से 6 फीसदी तक जा सकती है। बॉन्ड की कीमतें घट रही हैं और डेट फंडों का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) भी कम हो रहा है। इसे देखकर निवेशक डेट फंडों से अपनी रकम निकाल रहे हैं।’ बॉन्ड में दीर्घकालिक प्रतिफल बढ़ने का मतलब है डेट फंड निवेशकों के लिए आगे वक्त मुश्किल होगा। सिनर्जी कैपिटल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक विक्रम दलाल कहते हैं, ‘बीच में ही रीपो दरें बढ़ाए जाने से 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल 7 प्रतिशत के ऊपर चला गया है। आगे दर में और भी इजाफे की संभावना है।’ फंड्सइंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गिरिराजन मुरुगन भी कहते हैं, ‘अगले 6 से 12 महीनों में बॉन्ड प्रतिफल और भी बढ़ सकता है, इसलिए निवेशकों को अपने डेट फंड पोर्टफोलियो में इस दौरान और भी उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए। उतार-चढ़ाव कितना होगा, यह फंड की संशोधित अवधि पर निर्भर करेगा – जितनी ज्यादा संशोधित अवधि उतना ही ज्यादा उतार-चढ़ाव।’निवेश अवधि देखकर चुनें श्रेणी मध्यम और दीर्घ अवधि के डेट फंडों पर प्रतिफल ऋणात्मक हो रहा है, इसलिए चिंतित निवेशकों का बिक्री में जुट जाना लाजिमी है। मगर यदि आपकी निवेश की अवधि इन पंडों की औसत पोर्टफोलियो अवधि के समान है तो निवेश किए रहना ही बेहतर होगा। जिन्हें अपने डेट पोर्टफोलियो में अधिक अनिश्चितता या उतार-चढ़ाव नहीं चाहिए, उन्हें ही पैसा निकालना चाहिए।ऐसे निवेशकों को कम अवधि वाले फंडों में निवेश रखना चाहिए। मुरुगन की सलाह है, ‘जिन निवेशकों को निकट भविष्य में अपने डेट फंड पोर्टफोलियो में उतार-चढ़ाव नहीं चाहिए, उन्हें कम अवधि वाली श्रेणियों (एक साल से कम अवधि वाली श्रेणियों) जैसे तरल, अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन, लो ड्यूरेशन और मनी मार्केट फंड में रकम लगाए रहना चाहिए। जिन्होंने तीन से पांच साल के लिए निवेश किया है और अगले 6 से 12 महीनों तक उतार-चढ़ाव झेल सकते हैं उन्हें शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड और बैंकिंग तथा पीएसयू फंड में निवेश बनाए रखना चाहिए।’ उनकी सलाह यह भी है कि चार-पांच साल की अवधि वाले उच्च गुणवत्ता वाले टारगेट मैच्योरिटी फंड भी इस समय आकर्षक लग रहे हैं। बागला का कहना है, ‘दो साल तक की परिपक्वता अवधि वाले फंड, बैंकिंग और पीएसयू फंड तथा कम अवधि वाले फंड का प्रदर्शन अच्छा रहना चाहिए।’संपत्ति आवंटन बनाए रखें स्थिर आय में निवेश से पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है। अगर आपके छोटी या मध्यम अवधि के लक्ष्य हैं और आप तरलता का फायदा उठाना चाहते हैं तो आपको अपना धन डेट फंडों में आवंटित करना चाहिए। इस रकम को शेयरों या इक्विटी फंडों में नहीं लगाया जा सकता। दलाल कहते हैं, ‘बॉन्ड फंडों में निवेश से आपकी पूंजी भी बची रहेगी और आगे चलकर आपको दूसरी आय भी होगी।’ डेट फंडों में उतार-चढ़ाव आने की संभावना है, इसलिए निवेशकों को अपना संपत्ति आवंटन बरकरार रखने की जरूरत है। मुरुगन कहते हैं, ‘इक्विटी और डेट में आपने शुरुआत में जो आवंटन किया था, उसे बनाए रखें। अगर आपके आरंभिक संपत्ति आवंटन में 5 फीसदी से अधिक परिवर्तन है तो उसे पुनर्संतुलित करें और अपने शुरुआती संपत्ति आवंटन पर लौट जाएं।’अंत में अपने निवेश की अवधि को योजना की अवधि के बराबर बनाने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए यदि आप तीन साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो शॉर्ट ड्यूरेशन फंड में निवेश करें, जिनमें पोर्टफोलियो की अवधि एक से तीन साल हो।
