आईटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था ने कहा है कि महीने के आखिर में लागू होने वाले भारतीय साइबर सुरक्षा नियमों से ‘भरोसा पैदा होने के बजाय आशंकाओं का माहौल’ पैदा होगा। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने सरकार से इस नियम को एक साल टालने की मांग की है। फेसबुक, गूगल और रिलायंस जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था आईएएमएआई ने इस सप्ताह भारत के आईटी मंत्रालय को पत्र लिखकर साइबरसुरक्षा से संबंधित इस निर्देश की आलोचना की। इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम (सीईआरटी) से निर्देश के तहत अन्य बदलावों के तहत टेक कंपनियों को डेटा उल्लंघन की जानकारी 6 घंटे के अंदर देने और आईटी एवं कम्युनिकेशन लॉग्स 6 महीने तक मेंटेन रखने की जरूरत होगी। आईएएमएआई ने 6 घंटे की इस समय-सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है और कहा है कि वैश्विक तौर पर साइबर सुरक्षा मामलों की रिपोर्टिंग के लिए सामान्य तौर पर 72 घंटे की समय-सीमा है। आईटी मंत्रालय के अधीन आने वाली सीईआरटी ने क्लाउड सेवा प्रदाताओं एमेजॉन और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) कंपनियों को अपने ग्राहकों के नाम और आईपी एड्रेस कम से कम पांच साल तक बनाए रखने को कहा है, भले ही कंपनी ने सेवाओं को बंद कर दिया हो। आईएएमएआई ने भेजे पत्र में कहा है कि ऐसे निर्देशों पर अमल की लागत काफी ज्यादा हो सकती है और इनके उल्लंघन के लिए प्रस्तावित जुर्माने में जेल की सजा से लेकर भारत में कंपनियों को कारोबार बंद करने जैसे हालात शामिल हो सकते हैं।
