सेवा गतिविधियाें में तीव्र विस्तार | निकुंज ओहरी / नई दिल्ली June 04, 2022 | | | | |
भारत की सेवा गतिविधियों का मई महीने में पिछले 11 साल की तुलना में सबसे तेज विस्तार हुआ है। इसे कोविड-19 के लॉकडाउन के बार अर्थव्यवस्था फिर से खुलने के कारण मांग में बहाली और नए कारोबार में वृद्धि से समर्थन मिला है।
एसऐंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मई महीने में बढ़कर 58.9 पर पहुंच गया, जो अप्रैल में 57.9 था। यह अप्रैल 2011 के बाद का उच्चतम स्तर है। 50 से ऊपर की संख्या विस्तार और इससे कम संकुचन को दिखाती है।
सेवा गतिविधियों में वृद्धि को नए कारोबार की तेजी से समर्थन मिला है, जो कीमत के दबाव के बावजूद जून 2011 के बाद सबसे तेजी से बढ़ा है। एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था खुलने से सेवा क्षेत्र की वृद्धि में लगातार मदद मिली है।’
उन्होंने कहा, ‘महंगाई दर का परिदृश्य बहुत बुरा नजर आ रहा है क्योंकि सर्वे के इतिहास में इनपुट लागत सबसे तेजी से बढ़ी है। खाद्य, ईंधन, श्रम और परिवहन लागत आदि का उल्लेखनीय दबाव सेवा फर्मों पर पड़ा है। आउटपुट की महंगाई दर अप्रैल से मामूली कम हुई है, जो कि 5 साल में दूसरे सबसे उच्च स्तर पर है। कुछ कंपनियों ने उल्लेख किया है कि बढ़ती लागत का बोझ ग्राहकों पर डालना जरूरी है।’
सर्वे में कहा गया है कि इनपुट लागत में लगातार 23वें महीने में तेजी जारी है। अप्रैल महीने में भारत की खुदरा महंगाई 8 साल के शीर्ष स्तर 7.8 प्रतिशत पर थी, जबकि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर अप्रैल महीने में 2011-12 की मौजूदा सीरीज में सर्वाधिक तेज 15.08 प्रतिशत पर थी।
सर्वे में कहा गया है कि सेवा कंपनियां अपनी बढ़ती लागत का बोझ लगातार ग्राहकों पर डाल रही हैं।
डी लीमा ने कहा, ‘बढ़ी लागत का दबाव लगातार कारोबारी आशावाद को सीमित कर रहा है। अप्रैल से तेजी के बावजूद कुल मिलाकर सेवा प्रदाताओं की धारण ऐतिहासिक निचले स्तर पर है।’
मई महीने में सेवा अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता सेवाएं सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले क्षेत्र में से एक हैं। हालांकि इनपुट लागत की महंगाई की स्थिति देखें तो अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सबसे ज्यादा लागत बढ़ी है। लागत में सबसे तेज बढ़ोतरी परिवहन, सूचना और संचार कंपनियों में देखी गई है।
कारोबारी गतिविधियों में 12 महीने के परिदृश्य में आशावादी होने के बावजूद फर्में महंगाई के दबाव को लेकर चिंतित हैं, जिससे आर्थिक रिकवरी पर बुरा असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर अप्रैल से सकारात्मक धारणा बनी है, लेकिन अभी भी यह ऐतिहासिक निचले स्तर पर बनी हुई है।
मई महीने के दौरान सेवाओं में कारोबार बढ़ा है, जिसकी वजह से बैकलॉग हुआ है। इसके बावजूद सेवा प्रदाताओं ने इस माह के दौरान अतिरिक्त कामगारों की भर्ती से बचने की कवायद की है। सर्वे से भारत की सेवाओं की वैश्विक मांग की सुस्ती के भी संकेत मिले हैं। मार्च 2020 में कोविड-19 के असर के बाद हर महीने विदेश में नया कारोबार कम हुआ है।
एसऐंडपी ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मई में 54.6 पर करीब स्थिर रहा और अप्रैल के 54.7 की तुलना में मामूली बदलाव आया। बुधवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि को बढ़ते अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर से समर्थन मिला है।
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