उतारचढ़ाव से घटा नकदी कारोबार | सुंदर सेतुरामन और मयंक पटवर्धन / मुंबई June 03, 2022 | | | | |
मई में नकदी बाजार में कारोबार मासिक आधार पर 16 फीसदी घट गया क्योंकि काफी ज्यादा उतारचढ़ाव का बाजार में निवेशकों की भागीदारी पर असर पड़ा। एनएसई व बीएसई में संयुक्त रूप से इक्विटी में औसत रोजाना कारोबार 61,710 करोड़ रुपये का रहा, जो अप्रैल में 73,245 करोड़ रुपये रहा था। मई में औसत रोजाना कारोबार दिसंबर 2021 के बाद से सबसे कम रहा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले महीने शेयर की कीमतों में हुए काफी उतारचढ़ाव ने निवेशकों को बाजार में आक्रामक बोली लगाने से रोका।
येस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक व सीईओ प्रशांत प्रभाकरन ने कहा, तेजी के बाजार में कारोबार बढ़ता है और जब बाजार में उतारचढ़ाव देखने को मिलता है तब खुदरा निवेशकों की भागीदारी घटती है। ज्यादातर शेयर अपने-अपने 52 हफ्ते के उच्चस्तर से नीचे आए हैं, इसी वजह से खुदरा निवेशकों की तरफ से कारोबार घटा है। एचएनआई के उलट खुदरा निवेशक नुकसान में बेचना और फिर उसे दोबारा नहीं खरीदना चाहते। जब बाजार में उतारचढ़ाव में इजाफा होता है तो ट्रेडिंग कम हो जाती है।
बेंचमार्क निफ्टी माह के दौरान 8 फीसदी से ज्यादा के घटबढ़ के साथ अंत में 3 फीसदी नुकसान के साथ बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 12 फीसदी की घटबढ़ के साथ महीने के आखिर में 5.3 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 18 फीसदी का उतारचढ़ाव देखने को मिला और अंत में 10.2 फीसदी के नुकसान के साथ बंद हुआ।
5पैसा कैपिटल के सीईओ प्रकाश गगडानी ने कहा, मिडकैप और कम कीमत वाले शेयरों में ट्रेडिंग करने वाले खुदरा निवेशों की संख्या काफी घटी है। नकदी कारोबार में बढ़ोतरी की बहुत ज्यादा संभावना नहीं है। कारोबार तभी बढ़ता है जब सटोरिया गतिविधियां ज्यादा होती है। अगर ऐसा नहीं होता है तब नकदी बाजार पिछले स्तर पर नहीं लौट पाएगा। अगर बाजार में फिर बढ़ोतरी होती है तो हम शायद कुछ सुधार देख पाएंगे।
लेकिन मुझे नहीं लगता कि बाजार जल्दी से यहां से दोगुना होगा, जैसा कि डेरिवेटिव बाजारों का हुआ है।
नकदी बाजार का कारोबार पिछले साल के उच्चस्तर से 30 फीसदी से ज्यादा नीचे आया है, लेकिन डेरिवेटिव सेगमेंट का कारोबार मई में उच्चस्तर के करीब रहा। डेरिवेटिव में रोजाना औसत कारोबार मई में 104.1 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अप्रैल के 104.5 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले मामूली कम है।
गगडानी ने कहा, मार्जिन के नए नियम लागू होने के बाद से पिछले दो साल में नकदी बाजार में सटोरिया गतिविधियां गायब हो गई हैं। हो सकता है कि इसका ज्यादातर हिस्सा डेरिवेटिव की ओर चला गया हो। इसी वजह से डेरिवेटिव का कारोबार दोगुने से ज्यादा हो गया है जबकि नकदी बाजार का कारोबार नीचे आया है।
उद्योग के प्रतिभागियों ने क हा कि नियामकीय बदलाव मसलन अग्रिम नकदी मार्जिन और इंट्राडे लिवरेज पर लगाम से नकदी बाजार का कारोबार प्रभावित हुआ है और निवेशकों को डेरिवेटिव ऑप्शन सेगमेंट की ओर धकेला है।
उतारचढ़ाव और नियामकीय बदलाव के अलावा बाजार में गिरावट के बीच इस साल नए डीमैट खाते खुलने की रफ्तार भी घटी है। अप्रैल में सिर्फ 24 लाख नए डीमैट खाते खुले जबकि जनवरी में यह 34 लाख था। मई के आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं, हालांकि एलआईसी के आईपीओ के कारण इसमें तेजी देखने को मिल सकती है।
प्रभाकरन ने कहा, उतारचढ़ाव के कारण नए डीमैट खाते खुलने की संभावना क्षीण हो गई है। बाजार में आने वाले नए निवेशकों की संख्या भी घटी है। इसके अतिरिक्त इस साल काफी उतारचढ़ाव रहने वाला है क्योंकि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में और इजाफा कर सकता है और इसका भारत पर असर दिखेगा। जब तक उतारचढ़ाव जारी रहेगा तब तक सभी खुदरा निवेशकों के लिए ट्रेडिंग पैटर्न घटेगा।
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