भारत की प्रमुख डिजिटल भुगतान प्रणाली यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से मई में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ है। 2016 में इसे शुरू किए जाने के बाद यह माह का सर्वाधिक लेन-देन है। मई में लेन-देन की संख्या 5.95 अरब रही है, यह भी भुगतान प्लेटफॉर्म का उच्चतम स्तर है। मासिक हिसाब से लेन-देन की मात्रा 6.63 प्रतिशत ज्यादा है, जबकि मूल्य 5.91 प्रतिशत ज्यादा है। ज्यादा आधार के बावजूद ऐसा हुआ है। अप्रैल में यूपीआई से 5.58 अरब लेन-देन हुआ था, जिसकी कुल राशि 9.83 लाख करोड़ रुपये थी। अगर पिछले साल से तुलना करें तो यूपीआई के जरिये लेन-देन मात्रा व मूल्य दोनों हिसाब से करीब दोगुना हो गया है। इससे डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म की तेजी के संकेत मिलते हैं। वित्त वर्ष 22 में यूपीआई के माध्यम से 46 अरब से ज्यादा 84.17 लाख करोड़ रुपये लेन-देन हुए। इस तरह से एक लाख करोड़ डॉलर का रिकॉर्ड पार हुआ। वित्त वर्ष 21 में इससे 22.28 अरब लेन-देन हुए, जिसकी कुल राशि 41.03 लाख करोड़ रुपये है। इस तरह से मूल्य व मात्रा दोनों हिसाब से एक साल में दोगुना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के कारण डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता पिछले 2 साल में तेजी से बढ़ी है। महामारी की पहली दो लहरों के बाद यूपीआई के माध्यम से लेनदेन बढ़ रहा है। इससे व्यापक तौर पर आर्थिक स्थिति सुधरने के संकेत मिल रहे हैं। अब भुगतान प्लेटफॉर्म ने एक दिन में एक अरब लेन-देन सुनिश्चित करने का लक्ष्य तय किया है। यह मील का पत्थर बगैर किसी कवायद के 10 साल में हासिल किया जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) डिजिटल भुगतान का उच्चतम संगठन है, जिसने 3-5 साल में यह लक्ष्य अगले 3 से 5 साल में हासिल करने की योजना बनाई है।
