भाटिया ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य का कार्यभार संभाला | समी मोडक / मुंबई June 02, 2022 | | | | |
अश्विनी भाटिया ने बुधवार को सेबी के पूर्णकालिक सदस्य का कार्यभार संभाल लिया। इससे पहले भाटिया भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक थे।
सेबी ने एक विज्ञप्ति में कहा, भाटिया डिपार्टमेंट ऑफ डेट ऐंड हाइब्रिड सिक्योरिटीज, ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के विभाग, मार्केट इंटरमीडियरीज रेग्युलेशन ऐंड सुपरविजन डिपार्टमेंट, कॉरपोरेशन फाइनैंस इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट ऑफिस ऑफ इन्वेस्टर असिस्टेंस ऐंड एजुकेशन का कामकाज देखेंगे।
भाटिया के कार्यभार संभालने के बाद सेबी के अब तीन पूर्णकालिक सदस्य हो गए हैं। सरकार की तरफ से अभी चौथे सदस्य की नियुक्ति अभी होनी बाकी है। पिछले सात महीने से बाजार नियामक सिर्फ दो पूर्णकालिक सदस्य के साथ काम कर रहा था जब सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच का कार्यकाल पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर 4 अक्टूबर 2021 को समाप्त हो गया और जी. महालिंगम ने 8 नवंबर, 2021 को कार्यालय छोड़ दिया।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि अहम पद खाली रहने से सेबी मार्केट डेवलपमेंट जैसे काम नहीं कर पाया और नियामक के लिए अहम काम मसलन प्रवर्तन चुनौतीपूर्ण बन गया।
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मार्च में भाटिया की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। हालांकि प्रक्रियागत मसले के कारण उनके कार्यभार संभालने में देर हुई। भाटिया ने एसबीआई से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उनके इस्तीफे की प्रोसेसिंग में समय लगा, जिससे सेबी में कामकाज संभालने में देर हुई।
भाटिया को अभी तीन साल के लिए नियुक्त किया गया है। अगस्त 2020 में उन्हें एसबीआई में पदोन्नत कर एसबीआई का प्रबंध निदेशक बनाया गया था, जहां वह 1985 में प्रोबेशनरी अफसर के तौर पर जुड़े थे। इससे पहले वह एसबीआई म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी थे।
सेबी में पूर्णकालिक सदस्य की नियुक्ति के लिए कैबिनेट सचिव की अगुआई वाली वित्तीय क्षेत्र नियामकीय नियुक्ति खोज समिति ने उम्मीदवारों के नाम छांटे थे।
विगत में सरकार को पूर्णकालिक सदस्य की खातिर आईएएस अफसरों की नियुक्ति में समस्या रही है। इसकी वजह यह थी कि सेबी में पूर्णकालिक सदस्य का पद लेने से पहले उन्हें मौजूदा सेवा से इस्तीफा देना अनिवार्य कर दिया गया था। ज्यादातर युवा आईएएस यह पद डेप्युटेशन पर लेने के इच्छुक होते हैं ताकि पूर्णकालिक सदस्य का कार्यकाल पूरा होने के बाद वे अपनी मूल सार्वजनिक सेवा में वापस लौट सकें।
|