मॉनसून में ज्यादा बारिश की आस | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली June 01, 2022 | | | | |
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने आज वर्ष 2022 के लिए दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के अपने पूर्वानुमान को बढ़ाकर दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 103 प्रतिशत तक कर दिया है, जबकि अप्रैल में यह एलपीए के 99 प्रतिशत स्तर पर था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ला नीना की स्थिति चार महीने वाले पूरे मॉनसूनी मौसम के दौरान प्रबल रहने की संभावना है।
इसका खुदरा मुद्रास्फीति दर पर सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जो अप्रैल में बढ़कर 95 महीने के शीर्ष स्तर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है और आर्थिक विकास को गति दी है।
यह पूर्वानुमान चार प्रतिशत कम-ज्यादा वाले त्रुटि प्रारूप पर आधारित है। वर्ष 1971 से लेकर 2010 तक पूरे देश की मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेंटीमीटर है।
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यह पूर्वानुमान सच रहता है, तो यह लगातार चौथा ऐसा साल होगा, जब पूरे देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहेगा। यह एक ऐसी स्थिति है, जो हाल के समय में नहीं देखा गई है। मौसम विभाग ने कहा कि पूरे देश में इस साल बारिश की कम या सामान्य से कम होने की केवल 23 प्रतिशत संभावना है।
मौसम विभाग ने आज दूसरे चरण का पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा कि मध्य-पूर्व, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत तथा गहन दक्षिण-पश्चिम प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर, जहां यह सामान्य से कम रह सकती है, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से लेकर अधिक सामान्य तक वर्षा की उम्मीद के साथ मॉनसून की अच्छी बारिश की संभावना है।
मौसम विभाग ने कहा कि मध्य और दक्षिणी भारत में बारिश एलपीए के 106 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है, जबकि देश के उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में बारिश सामान्य रहने की उम्मीद है।
उत्तर-पूर्व भारत में बारिश को तब सामान्य माना जाता है, जब यह एलपीए के 96-106 प्रतिशत के दायरे में हो, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य सीमा एलपीए के 92-108 प्रतिशत के बीच होती है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने संवाददाताओं से कहा कि भारतीय मॉनसून के लिए अनुकूल मापदंडों के आंकड़ों में अप्रैल में जताए गए पहले पूर्वानुमान के बाद से इजाफा हुआ है।
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