वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में भारत की कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर मजबूत रही है। पहले के साल की समान अवधि के 2.8 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में इसमें 4.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर दर्ज की गई है। वहीं पूरे वित्त वर्ष 22 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 3 प्रतिशत रह गई है, जो वित्त वर्ष 21 में 3.3 प्रतिशत थी। मोस्पी के आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा भाव पर कृषि एवं संबंधित गतिविधियों की वृद्धि दर वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में 15.2 प्रतिशत रही है, जो वित्त वर्ष 21 की समान अवधि के दौरान 6.2 प्रतिशत थी। इसमें 11.1 प्रतिशत महंगाई दर का असर नजर आ रहा है, जो वित्त वर्ष 21 की समान अवधि में 3.4 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही में 4.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर को विशेषज्ञ गैर फसल क्षेत्र के प्रदर्शन को मान रहे हैं, जिसमें बागवानी, फूलों की खेती, पशुपालन और जनवरी से मार्च 2022 के दौरान बेहतर निर्यात शामिल है। अगर कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 से 4 प्रतिशत के बीच होती है तो इसे दीर्घावधि औसत से ज्यादा माना जाता है। बहरहाल पूरे साल के लिए कृषि एवं संबंधित गतिविधियों का जीवीए वित्त वर्ष 21 की तुलना में मामूली कम 3 प्रतिशत पर रहने की संभावना है। गेहूं के उत्पादन में गिरावट होने के कारण यह अनुमान लगाया गया है। क्वांटइको रिसर्च के सह प्रमुख विवेक कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘एनएसओ ने फसल उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान को शामिल किया है। जीडीपी के आंकड़े जारी करते समय इसमें गेहूं के उत्पादन में गिरावट के अनुमान शामिल किया गया है।’ उन्होंने कहा कि प्राथमिक क्षेत्र के मामले में हमेशा यह बेहतर रहता है कि पूरे साल के आंकड़े जारी किए जाएं क्योंकि इससे सही तस्वीर सामने आती है और इससे धारणा का पता चलता है, वहीं मौसमी उतार चढ़ाव का असर कम होता है। कृषि उत्पादन के 19 मई, 2022 को जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक गेहूं और कपास का उत्पादन दूसरे अग्रिम अनुमान की तुलना में 4.4 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत कम रहने की संभावना है। दूसरा अग्रिम अनुमान फरवरी 2022 में जारी किया गया था। मार्च में तेज गर्म हवाओं के असर गेहूं और कपास की फसलों पर कीटों के हमले के कारण फसल प्रभावित हुई थी। इस अप्रत्याशित मौसम के फसल उत्पादन पर वास्तविक असर और कृषि जीडीपी पर पड़ने वाला उसका असर आने वाली तिमाहियों खासकर वित्तवर्ष 23 की पहली तिमाही पर साफ नजर आएगा। अगर हम आगे की स्थिति देखें तो ज्यादातर लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अगर मॉनसून मजबूत बना रहता है तो वित्त वर्ष 23 में कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि हो सकती है, जिसमें बेहतर फसल और तेज कीमतों का विशेष योगदान होगा।
