भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का चौथी तिमाही का परिणाम मिश्रित रहा है। सरकार के स्वामित्व वाली बीमा दिग्गज के वित्तीय परिणाम को लेकर निवेशकों द्वारा सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह की प्रतिक्रिया जताई गई है। जहां फिलहाल वृद्धि के आंकड़ों पर दबाव बना हुआ है, वहीं विश्लेषकों का कहना है कि कंपनी के बारे में अभी कोई ठोस अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। एलआईसी ने बाजार उतार-चढ़ाव के बीच शेयर बाजार में प्रवेश किया है। एलआईसी का शेयर मंगलवार को 3 प्रतिशत फिसलकर 811.5 रुपये पर आ गया। तुलनात्मक तौर पर बीएसई का सेंसेक्स 0.64 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। मंगलवार की गिरावट के बाद, एलआईसी एक स्थान गिरकर भारत की बेहद मूल्यवान कंपनियों की सूची में आईसीआईसीआई बैंक के बाद सातवें नंबर पर आ गई है।सकारात्मक बदलाव एलआईसी का चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 2,893 करोड़ रुपये के मुकाबले 18 प्रतिशत से घटकर 2,371.55 करोड़ रुपये रह गया, लेकिन कुल राजस्व सालाना आधार पर 11.64 प्रतिशत बढ़कर 2.11 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पहले 1.89 लाख करोड़ रुपये था। फिर भी, यह ध्यान देने की बात है कि चौथी तिमाही के आंकड़े तुलना योग्य नहीं हैं। एलआईसी के प्रबंध निदेशक राज कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में एलआईसी का लाभ 2,893 करोड़ रुपये रहा और यह पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के प्रदर्शन से संबंधित है, क्योंकि एलआईसी ने उस वर्ष एक बार वास्तविक मूल्यांकन दर्ज किया था। इसलिए पिछले साल की चौथी तिमाही बनाम चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लाभ तुलना योग्य नहीं हैं।’ पूरे साल के आधार पर, वित्त वर्ष 2022 का पीएटी 4,043 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2021 में दर्ज किए गए 2,900 करोड़ रुपये के मुकाबले 39 प्रतिशत तक ज्यादा है। इसके अलावा, 61वें महीने पर्सिस्टेंसी रेशियो समीक्षाधीन तिमाही के दौरान सुधरकर 55.62 प्रतिशत पर पहुंच गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 55.43 प्रतिशत था। पूरे वर्ष के लिए, यह वित्त वर्ष 2021 के 58.79 के मुकाबले 61 प्रतिशत पर दर्ज किया गया। इसके अलावा प्रीमियम से कंपनी की आय भी सालाना आधार पर बढ़ी है।नकारात्मक बदलाव बाजार विश्लेषकों के अनुसार, जून तक एम्बेडेड वैल्यू (ईवी) की घोषणा को टाला जाना भी निवेशकों के लिए चिंताजनक संकेतों में से एक है। कंपनी द्वारा सौंपे गए अपने डीआरएचपी के अनुसार, एलआईसी की ईवी मार्च 2021 के 95,605 करोड़ रुपये से बढकर सितंबर 2021 में 5.39 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। वैश्विक ब्रोकरेज मैक्वेरी के अनुसार, एलआईसी की करीब 70 प्रतिशत ईवी में इक्विटी मार्क-टु-मार्केट लाभ शामिल है, जिसने ईवी को ज्यादा अस्थिर बना दिया है। फिस्डम के शोध प्रमुख नीरव करकेरा के अनुसार, ‘भले ही एलआईसी ने निजी कंपनियों के मुकाबले परिसंपत्ति प्रबंधन मोर्चे पर बेहतर कार्य किया है, लेकिन उसे इक्विटी और बॉन्ड बाजारों में उतार-चढ़ाव की वजह से अपने निवेश पर प्रतिफल संबंधित दबाव का सामना करना पड़ा है। इसलिए एलआईसी कुछ मार्क-टु-मार्केट नुकसान दर्ज कर सकती है।’ एलआईसी की एयूएम 36.8 लाख करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में प्रतिफल 6.46 प्रतिशत था, जो गैर प्राप्ति लाभ को अलग कर पिछले साल से 8.02 प्रतिशत कम है। दूसरी निराशा कम लाभांश से सामने आई है। बीमा कंपनी ने महज 1.5 रुपये प्रति शेयर के लाभांश की घोषणा की है, जिसे विश्लेषकों ने सूचीबद्धता के बादसे निवेशकों को हुए करीब 90,000 करोड़ रुपये के नुकसान को देखते हुए उत्साहजनक नहीं बताया है। विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को एलआईसी के प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए कुछ और तिमाहियों का इंतजार करना चाहिए।
