समय से रिटर्न भरें और ज्यादा टीडीएस कटौती से बचें | बिंदिशा सारंग / May 30, 2022 | | | | |
अगर आप वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपना आयकर रिटर्न अभी तक दाखिल नहीं कर पाए हैं तो आपका नाम आयकर विभाग की उस फेहरिस्त में आने वाला है, जिसमें रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों का पूरा ब्योरा है। आपका नाम इस सूची में आ जाता है तो सबसे पहली दिक्कत तो यह होगी आपके लिए स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) की दर बढ़ जाएगी। दूसरी दिक्कत यह होगी कि 1 अप्रैल, 2022 से ही आपसे बढ़ी हुई दर से टीडीएस या टीसीएस लिया जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग की धारा 206एबी और 206सीसीए से संबंधित सर्कुलर जारी किया है, जिसमें उन लोगों का ब्योरा है, जिनसे अधिक दर पर टीडीएस और टीसीएस वसूला जाना है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में वकील रोहित अरोड़ा कहते हैं, 'इस सर्कुलर का मकसद कर नहीं भरने वाले अधिक से अधिक लोगों को कर भरने वालों की जमात में शामिल करना है।'
सूची में कौन हैं
वित्त अधिनियम, 2022 के अनुसार इस सूची में उन लोगों को शामिल किया जाएगा, जिनके साथ दो खास बातें होती हैं। पहली बात, उस व्यक्ति ने पिछले साल आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, 'पिछला साल उस साल को माना जाएगा, जिसमें धारा 139(1) के अंतर्गत रिटर्न दाखिल करने की तय तारीख निकल चुकी है।'
सुराणा समझाते हैं कि पहले टीडीएस या टीसीएस की बढ़ी हुई दर उन लोगों पर लागू होती थी, जिन्होंने पिछले दो सालों में अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया होता था। अब नियम बदल गया है। अब यदि कोई व्यक्ति एक साल भी अपना रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो उससे अधिक दर पर टीडीएस या टीसीएस लिया जाएगा। दूसरी बात या शर्त यह है कि पिछले साल में उस व्यक्ति से वसूला जाने वाला टीडीएस और टीसीएस 50,000 रुपये या उससे अधिक होना चाहिए। उस व्यक्ति से कर वसूलने के लिए जो दर तय की जाएगी, उसके लिए दो पैमाने देखे जाएंगे। निर्धारित दर का दोगुना या 5 फीसदी। इन दोनों में से जो भी अधिक होगा, उसी दर से कर वसूला जाएगा।
धारा 206एबी और धारा 206सीसीए
जब किसी व्यक्ति को इस सूची में डाला जाता है तो आयकर अधिनियम की धारा 206एबी के तहत उसे बता दिया जाता है कि कर भुगतान के समय उससे टीडीएस की कितनी ऊंची दर वसूली जाएगी। हालांकि कुछ खास तरह की आय और लेनदेन पर यह शर्त लागू नहीं होती है। क्लियर के मुख्य कार्य अधिकारी अर्चित गुप्ता बताते हैं, 'वेतन पर काटे गए कर; कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की समय से पहले निकासी; लॉटरी, ताश के पत्तों या वर्ग पहेली (क्रॉसवर्ड पजल) में जीती गई रकम; सिक्योरिटाइजेशन ट्रस्ट में किए गए निवेश से हुई आय; घुड़दौड़ से जीती गई रकम और नकद निकासी पर यह लागू नहीं होता।'
इसी तरह अधिनियम की धारा 206सीएए के तहत उस व्यक्ति को बताया जाता है कि उससे कितनी बढ़ी हुई दर से टीसीएस वसूला जाएगा।
आयकर विभाग की एक संदर्भ पुस्तिका 'कंप्लायंस चेक फॉर सेक्शन 206एबी ऐंड 206सीएए' है। इसका इस्तेमाल कर वित्तीय संस्थाएं पता कर सकती हैं कि किसी व्यक्ति पर टीडीएस या टीसीएस की अधिक दर लागू हो रही है अथवा नहीं।
क्या होगा नतीजा
जिन व्यक्तियों से वित्त वर्ष 2022-23 में अधिक दर से टीडीएस या टीसीएस वसूला जाना है, उनकी सूची तैयार हो चुकी है। यह सूची तैयार करते समय वित्त वर्ष 2020-21 को आधार बनाया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान इस सूची में कोई भी नया नाम नहीं जोड़ा जाएगा। इतना ही नहीं अगर सूची में शामिल किया गया व्यक्ति वित्त वर्ष 2021-22 (आकलन वर्ष 2022-23) के लिए अपना वैध आयकर रिटर्न दाखिल कर देता है और उसका सत्यापन भी हो जाता है तो उसका नाम इस फेहरिस्त से हटा दिया जाएगा। अगर पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में कुल टीडीएस और टीसीएस 50,000
रुपये से अधिक नहीं बनता है
तो भी उस व्यक्ति का नाम इस सूची से निकाल लिया जाएगा। ऐसा 31 जुलाई, 2022 को किया जाएगा।
फिर आप क्या करें?
इस सर्कुलर का असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिन्होंने अभी तक अपने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर संदीप बजाज समझाते हैं, 'करदाताओं को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वैध रिटर्न दाखिल कर देने चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर उनका नाम रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों और कर की अधिक दर वाले लोगों की फेहरिस्त से हटा दिया जाएगा। इसके लिए आकलन वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की विभाग द्वारा निर्धारित तारीख देखी जाएगी और व्यक्ति द्वारा वास्तव में रिटर्न दाखिल करने और सत्यापित करने की तारीख भी देखी जाएगी। जो भी तारीख बाद में पड़ेगी, उसे ही नाम हटाने की प्रक्रिया के लिए देखा जाएगा।'
सुराणा इसमें कुछ और भी बताते हैं। वह कहते हैं, 'उस वित्त वर्ष के लिए टीसीएस और टीडीएस के रिटर्न अगर वित्त वर्ष 2022-21 में देर से दाखिल किए गए हैं अथवा संशोधित रिटर्न दाखिल किए गए हैं तो उन्हें भी व्यक्ति का नाम सूची से हटाने के लिए मान्य करार दिया जाएगा।'
एक बार इस सूची से नाम हट जाए तो उस व्यक्ति को काफी राहत मिल सकती है। गुप्ता बताते हैं, 'अगर उस सूची से नाम हट जाता है तो दिक्कत खत्म हो जाती है क्योंकि उसके बाद से किसी भी लेनदेन पर कर सामान्य दर से ही वसूला जाता है।'
अंत में टैक्समैनेजर डॉट इन के मुख्य कार्य अधिकारी दीपक जैन पते की बात बताते हैं, जिससे अधिक दर से काटा कर वापस मिल सकता है। वह कहते हैं, 'अगर अधिक टीडीएस काट लिया गया है तो उसे वापस पाने के लिए दावा किया जा सकता है। मगर दावा तभी किया जा सकता है, जब व्यक्ति अपना कर रिटर्न दाखिल कर दे और उसे सत्यापित भी करा ले।'
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