केरल पहुंचा मॉनसून | संजीव मुखर्जी और एजेंसी / नई दिल्ली May 30, 2022 | | | | |
देश के लाखों-करोड़ों लोगों के लिए यह राहत की बात हो सकती है। रविवार को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून केरल पहुंच गया, जो सामान्य शुरुआत की तारीख 1 जून से तीन दिन पहले पहुंचा है। भारतीय मौसम विभाग ने यह जानकारी दी।
मौसम विभाग ने कहा कि आज केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत की घोषणा के लिए परिस्थितियां संतोषजनक हैं। ये परिस्थितियों हैं - औसत समुद्र तल से 4.5 किलोमीटर तक फैली पछुआ हवाओं की सघनता, दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर बढ़ रहा पछुआ हवाओं का वेग, दक्षिण-पूर्व अरब सागर और केरल के आसपास के क्षेत्रों में बादल छाना तथा पिछले 24 घंटों के दौरान केरल में व्यापक वर्षा की गतिविधि।
मौसम विभाग ने कहा कि केरल में मॉनसून की शुरुआत की घोषणा के लिए बारिश की निगरानी करने वाले 14 स्टेशनों में से 10 स्टेशनों में पिछले 24 घंटे के दौरान 2.5 मिलीमीटर या इससे अधिक बारिश हुई है।
इससे पहले मौसम विभाग ने 27 मई को केरल में मॉनसून की शुरुआत का पूर्वानुमान जताया था। यह पूर्वानुमान चार दिनों की त्रुटि वाले प्रारूप के आधार पर था।
आने वाले कुछ दिनों के मामले में मौसम विभाग ने कहा कि मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों, केरल के बाकी हिस्सों, तमिलनाडु के कुछ और हिस्सों, कर्नाटक के कुछ हिस्सों, दक्षिण के कुछ और हिस्सों, बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग, पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में अगले तीन से चार दिन में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढऩे के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।
हालांकि मॉनसून की समय पर शुरुआत एक अच्छा संकेत है, इससे देश भर में जोरदार प्रगति की गारंटी नहीं मिलती है।
हालांकि अगर मध्य, उत्तर और पश्चिम भारत के प्रमुख कृषि राज्यों में बारिश समय पर होती है, तो इससे खरीफ फसलों की बुआई को बढ़ावा मिल सकता है, जहां इस साल हाल ही में संपन्न हुई रबी की कटाई से किसानों को लाभाकारी प्रतिफल मिलने के कारण रकबा अच्छा होने की उम्मीद है।
कृषि उत्पादन न केवल वर्षा की कुल मात्रा पर निर्भर करता है, बल्कि समयबद्धता और मॉनसून के भौगोलिक प्रसार पर भी निर्भर करता है।
मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने मॉनसून वर्ष 2022 सीजन (जून और जुलाई) की पहली छमाही में दूसरी छमाही की तुलना में ज्यादा अच्छा रहने की उम्मीद है। इसका फसलों की अंतिम कटाई पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में बारिश की कुल मात्रा के लिहाज से जुलाई और अगस्त सबसे महत्त्वपूर्ण महीने होते हैं।
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