निवेशकों को तेजी आने पर करनी चाहिए बिकवाली | पुनीत वाधवा / नई दिल्ली May 28, 2022 | | | | |
एसऐंडपी 500 सूचकांक में ऊंचे स्तर से 20 प्रतिशत की भारी गिरावट के बावजूद जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख जेफरीज क्रिस्टोफर वुड का मानना है कि अभी और गिरावट का अनुमान है। उनका मानना है कि निवेशकों को किसी तरह की अल्पावधि तेजी में शेयरों से निकलने पर ध्यान देना चाहिए।
निवेशकों को भेजी अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट ग्रीड ऐंड फियर में वुड ने लिखा है, 'हालात उम्मीद के विपरीत बने हुए हैं और ग्रीड ऐंड फियर में कहा गया है कि निवेशकों को तेजी पर बिकवाली करनी चाहिए। यदि फेडरल रिजर्व अपने मौजूदा सख्त एजेंडे पर कायम रहता है तो निवेशकों को न्यूनतम गिरावट का अनुमान जताना चाहिए। एसेंडपी 500 में अब तक करीब 20 प्रतिशत से ज्यादा की कमजोरी पहले ही आ चुकी है और यह बढ़कर 30 प्रतिशत हो सकती है।'
याद रखने की बात यह है कि प्यू रिसर्च सेंटर के इस महीने जारी किए गए सर्वे के हवाले से वुड ने लिखा कि अमेरिकी किसी अन्य मुद्दे के जाय मुद्रास्फीति को लेकर ज्यादा चिंतित हैं। 70 प्रतिशत अमेरिकियों ने मुद्रास्फीति को देश के लिए बेहद बड़ी समस्या करार दिया, जिसके बाद 55 प्रतिशत ने हेल्थकेयर और 65 प्रतिशत ने अपराध को बड़ी समस्या बताया। यह सर्वेक्षण 25 अप्रैल से 1 मई के बीच कराया गया था।
वैश्विक वित्तीय बाजारों में गिरावट आई है, क्योंकि मुद्रास्फीति बढ़ी है, जिससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व और आरबीआई समेत कई केंद्रीय बैंकों को सख्त रुखे अपनाने और ब्याज दरें बढ़ाने का कदम उठाना पड़ा है।
उदहारण के लिए, अमेरिका में मुद्रास्फीति अप्रैल में 8.3 प्रतिशत के साथ 41 वर्षीय ऊंचे स्तर पर पहुंच गई, जो मार्च के 8.5 प्रतिशत से कुछ कम है। वहीं घरेलू तौर पर, उपभोक्ता कीमत मुद्रास्फीति (सीपीआई) दर अप्रैल में 7.79 प्रतिशत के आठ वर्ष ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। दूसरी तरफ थोक बिक्री कीमत सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत पर पहुंच गई, क्योंकि जिंस और खाद्य कीमतें चढ़ गई थीं। आंकड़े से पता चलता है कि इसके साथ डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई लगातार 13 महीनों मेें दो अंक में रही।
बीएसई के सेंसेक्स और निफ्टी-50 सूचकांकों में कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक करीब 7-7 प्रतिशत की कमी आई है। कई विश्लेषकों को भारतीय बाजारों के कैलेंडर वर्ष 2022 में अस्थिर बने रहने का अनुमान है, क्योंकि वे बढ़ती मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के नए नॉर्मल को समायोजित कर सकते हैं। इससे निवेशकों के लिए खासकर निर्धारित आय/डेट सेगमेंट में निवेश के और अवसर पैदा होंगे। उनका कहना है कि निवेशकों के लिए रिस्क-रिवार्ड अनुकूल होने से इक्विटी बाजारों में अब और गिरावट आ सकती है।
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