भारतीय इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव और कई इक्विटी फंड श्रेणियों में कम प्रतिफल के बावजूद निवेशक इक्विटी फंडों में निवेश से जुड़े रहे हैं। मार्च तिमाही तक, 56.33 प्रतिशत छोटे निवेशक दो साल से भी ज्यादा समय से इक्विटी फंडों में निवेशित थे, जबकि मार्च 2021 में यह आंकड़ा 55.27 प्रतिशत था। भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि पिछले दो साल के दौरान दो साल से ज्यादा के लिए निवेशकों की इक्विटी फंडों में शेयरधारिता का रुझान बढ़ा है। 2020 की मार्च तिमाही तक उनकी शेयरधारिता 48.72 प्रतिशत थी और इसलिए जब यह बढ़कर करीब 56 प्रतिशत हो गई। आंकड़े से पता चलता है कि कुल 8.59 लाख करोड़ रुपये की रिटेल इक्विटी परिसंपत्तियों में 4.83 लाख करोड़ रुपये से निवेशक दो साल तक जुड़े रहे। भले ही छोटे निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश रकरार रखे हुए हैं, लेकिन अमीर निवेशकों यानी एचएनआई की शेयरधारिता मार्च 2022 में करीब 43.62 प्रतिशत पर थी। यूनियन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी जी प्रदीपकुमार का कहना है, 'पिछले कुछ वर्षों में हमने छोटे निवेशकों से अच्छी मजबूती दर्ज की है, क्योंकि वे लंबी अवधि के नजरिये से इक्विटी फंडों में प्रवेश कर रहे हैं। दरअसल, अब निवेशक बाजार में भारी गिरावट आने पर इक्विटी फंडों में ज्यादा पैसा लगा रहे हैं।' बाजारों में भले ही भारी गिरावट आई है और इक्विटी फंडों का प्रतिफल गिरा है, लेकिन निवेशक इक्विटी फंडों में निवेश बरकरार रखे हुए हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में छोटे निवेशक एसआईपी के जरिये जुड़े रहे हैं। पिछले एक साल में जहां औसत लार्जकैप इक्विटी फंडों ने 5.44 प्रतिशत का प्रतिफल दिया, वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों ने इस अवधि में 6.69 प्रतिशत और 8.28 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। दूसरी तरफ, एसआईपी प्रवाह पिछले कुछ महीनों में मजबूत बना रहा। अप्रैल में, एसआईपी योगदान 11,863 करोड़ रुपये पर था। पिछले वित्त वर्ष में, एसआईपी प्रवाह 1.24 लाख करोड़ रुपये के आसपास रहा। डेजर्व के सह-संस्थापक वैभव पोरवाल का कहना है, 'एम्फी द्वारा चलाए गए निवेशक जागरूकता कार्यक्रम ने निवेशकों को दीर्घावधि निवेश के फायदे समझाने में अहम योगदान दिया है। वैकल्पिक तौर पर, यदि हम इक्विटी म्युचुअल फंडों पर विचार करें तो पता चलता है कि इन फंडों ने 10 वर्ष की अवधि के दौरान 14-18 प्रतिशत के दायरे में प्रतिफल दिया और अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों में छोटे निवेशकों के लिए पसंदीदा परिसंपत्ति वर्गों में से एक बने रहे।' अप्रैल में, नए एसआईपी पंजीकरण करीब 21.8 लाख दर्ज किए गए, जबकि पिछले वित्त वर्ष में म्युचअल फंड उद्योग में 2.663 करोड़ नए एसआईपी पंजीकरण हुए थे। ज्यादातर निवेश एसआईपी के खातों में आ रहा है, जो दीर्घावधि बचत से जुड़ा हुआ है। मुझे उम्मीद है कि निवेश की अवधि में इजाफा होगा।
