सरकार विशेष उद्देश्य अधिग्रहण कंपनियों (एसपीएसी) के लिए रिपोर्टिंग और ऑडिट व्यवस्था पेश करने पर विचार कर रही है। सरकार उन्हें कानून के दायरे में लाने और शेयर बाजार में उनकी सूचीबद्धता को अनुमति देने पर भी विचार कर रही है। कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। इसके लिए कई दौर का परामर्श हुआ है, जिसमें हिस्सेदारों के सुझाव मांगे गए, जिसमें कंपनी अधिनियम मे संशोधन के सुझाव आए हैं। खासकर एसपीएसी के नियामकीय ढांचे और फ्रैक्शनल शेयरों को लेकर जुड़े संशोधन के सुझाव हैं। अधिकारियों के मुताबिक प्रायोजकों के लिए पोस्ट इश्यू पेड-अप कैपिटल के लिए न्यूनतम और अधिकतम सीमा तय करने जैसी सिफारिशें भी शामिल हैं। एसपीएसी एक कंपनी है, जो कारोबार नहीं चलाती और इसका गठन लक्षित कंपनी के अधिग्रहण के लिए होता है। इस तरह की शेल फर्म को बगैर किसी परिचालन वाले कारोबार के सूचीबद्धता के माध्यम से पूंजी जुटाने की अनुमति होती है। सूचीबद्धता के बाद एसपीएसी लक्षित कंपनी का अधिग्रहण या विलय करती है। इस समय कंपनी अधिनियम एसपीएसी ढांचे को समर्थन नहीं करता क्योंकि यह अनिवार्य है कि कंपनी किसी कारोबार में लगी हो। कंपनी कानून समिति की रिपोर्ट 2022 में मंत्रालय ने एसपीएसी की अवधारणा पेश किए जाने और इन इकाइयों को कानूनी दर्जा देने का समर्थन किया है। इसके साथ ही अन्य प्रस्तावों में इनकी भारत और विदेश के शेयर बाजारों में सूचीबद्धता भी शामिल है। इस कदम से नए दौर की फर्मों को विदेश में सूचीबद्धता और धन जुटाने का अवसर मिल सकेगा। मंत्रालय ने इस मसले पर 15 मई तक सभी हिस्सेदारों से प्रतिक्रिया मांगी और माना जा रहा है कि रिपोर्ट पर 200 से ज्यादा सुझाव मिले हैं। कुछ सुझावों में एसपीएसी के जोखिम को लेकर चिंता जताई गई है क्योंकि इस तरह के माध्यम अक्सर लक्षित कंपनी की सूचनाएं साझा नहीं करते। इसके अलावा उनके जुटाए गए धन के अलावा कंपनी के पास कोई संपदा नहीं होती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'मंत्रालय की पॉलिसी टीम सभी प्रतिक्रियाओं की जांच कर रही है, जो उसे मिले हैं। जल्द ही वह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर अथॉरिटी और कर विभाग सहित नियामकों के साथ बात करेगी।'
