फिनटेक क्षेत्र में उभरते जोखिम पर नजर | बीएस संवाददाता / मुंबई May 28, 2022 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फिनटेक क्षेत्र में नवोन्मेष को सुविधा प्रदान करने के साथ इसे बढ़ावा दे रहा है, वहीं नियामक इस क्षेत्र में उभरते जोखिम पर भी नजर बनाए हुए है। रिजर्व बैंक इस क्षेत्र में नवोन्मेष और नियमन के बीच संतुलन बनाए रखने के साथ जोखिम प्रबंधन के सिद्धांत में समझौता नहीं करना चाहता है।
रिजर्व बैंक ने 2021-22 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है, 'केंद्रीय बैंक जहां नवोन्मेष को बढ़ावा दे रहा है, वहीं वह फिनटेक सेग्मेंट के उभरते जोखिमों पर भी नजर रख रहा है। तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल के साथ इससे जुड़ी साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी हैं।
फिनटेक ने उत्पादों, उपभोक्ताओं की सेवा, बैक-एंड एनलिटिक्स और सेवाओं की डिलिवरी के मामले में वित्तीय सेवाओं में बहुत ज्यादा हस्तक्षेप किया है। रिजर्व बैंक ने कहा, 'इस तरह का नवोन्मेष पहले बाजार में व्यवधान डालता है, और जब यह स्थापित हो जाता है तो इसकी सकारात्मक भूमिका की बात आती है और नियामक व प्राधिकारी इस क्षेत्र के नियमन की दिशा में कदम उठाते हैं, जिससे नवोन्मेष का लाभ टिकाऊ तरीके मिल सके और इससे संबंधी जोखिम को भी कम किया जा सके।'
हालांकि व्यापक तौर पर यह माना जाता कि सरकार के नियमन से शायद नवोन्मेष की हत्या हो जाती है, वहीं रिजर्व बैंक का तर्क है कि नियमन व कानून इस क्षेत्र के टिकाऊ विकास के लिए अहम है।
रिजर्व बैंक ने कहा, 'फिनटेक क्षेत्र का व्यापक (वित्तीय स्थिरता और साइबर सुरक्षा) और सूक्ष्म (उपभोक्ता संरक्षण और वित्तीय समावेशन) दोनों ही स्तरों पर असर बढ़ रहा है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि नवोन्मेष को सुविधा दी जाए, साथ ही फिनटेक क्षेत्र में नियामकीय आदेश लाना भी जरूरी है।'
रिजर्व बैंक ने बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्र में बड़ी तकनीकी कंपनियों के आने को लेकर भी चिंता जताई है क्योंकि इनके शामिल होने से व्यवस्थागत जोखिम आता है और इनका वित्तीय स्थिरता पर असर होता है।
रिजर्व बैंक ने कहा, 'ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि रिजर्व बैंक इस तरह के जोखिमों को तकनीकों के सावधानीपूर्वक चयन और ढांचे के माध्यम से कम करे। फिनटेक की सेवाएं व्यापक हो रही हैं और वित्तीय सेवा उद्योग में उपयोगी ऐप्लीकेशन के दायरे बढ़ रहे हैं।'
इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक की कवायद है कि नवोन्मेष और नियमन में संतुलन बनाया जाए और जोखिम प्रबंधन के किसी सिद्धांत से समझौता न किया जाए।
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